poem barbadi ki rah

किताबो में पढ़ कर,
रेडियो में सुन कर।
कहानियां मोहब्बत की,
बड़े बूड़ो से सुनकर।
मोहब्बत करने का मन,
दिल में पनापने लगा।
और लगा बैठे दिल अपना,
अपने पड़ोसी की लड़की से।।

अब न दिल धड़कता है,
न सांसे ही चलती है।
ये कमवक्त मोहब्बत भी,
क्या बला होती है।
जो न जीने देती है,
न ही मरने देती है।
चलते फिरते इन्सान को,
एक लाश बना देती है।।

मोहब्बत के चक्कर में,
न जाने कितने लूट गये।
और कितने खुदा को,
पहले ही प्यारे हो गये।
जिसे मिल गई मोहब्बत,
वो आबाद हो गया।
नही तो जिंदा एक,
लाश बनके राह गया।।

किसी को इसने पागल,
बना कर छोड़ दिया।
तो किसी को घायाल करके,
बीच मजधार मे छोड़ दिया।
इसलिए अब मोहब्बत के,
नाम से लोग घबराते है।
न खुद करते है और,
न किसीको सलाह देते है।।

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