इश्क़ में दो पल ज़रूरत से हां कुछ ज़्यादा लगेंगे
इस जनम में गर नहीं तो उस जनम में हीं मिलेंगे
लाख़ दुश्मन हो ज़माने में ज़ुदा कैसे करेंगे
आशनाई की हिफ़ाज़त जब ख़ुदा ख़ुद ही रखेंगे
गर जो तुम दुनिया के डर से तोड़ दो तअ’ल्लुक़ात
जान-ए-मन हम तो तुम्हें इन चाँद -तारों में देखेंगे
तुम सभी तस्वीर ले तो जा रही बस इतना कहुंगा
दिल ने जो तस्वीर खींचें वो बहुत ज़्यादा चुभेंगे
छोड़ कर गर तुम गई मुझसे ज़रा भी दूर सोचों
झूठ सा नाराज़ होकर और हम किस से लड़ेंगे
इक तुम्हारे रूठने पे दिल -ए- ‘अंशू’ का रो देता
अब तुम्हारे दूर हो जाने से हम कैसे जिएंगे