परिस्थिति जनक वैश्विक सत्य घटनाओं पर आधारित हृदय को स्पर्श करती स्मृतियाँ
टिड्डी हमला, कोरोना हमला, सरकारी हमला, नेपाल-भारत हमला, चीन-भारत व अमेरिकी हमला,अम्फान हमला, निसर्ग हमला, जॉर्ज फ्लॉयड पर हमला, हमला दर हमला, भूख-प्यास पर हमला, मानवता पर हमला, हथिनी पर हमला, टेलीविज़न पर हमला, चारों दिशाओं में हमला। लॉकडाउन बच्चों वाली गिनती 1’2’3’4 धक्का दिया केमिस्टार, गेम खेलता रहा, खेलता रहेगा। किंग बनेगा प्रवासी मज़दूर,और दूर होगी उसकी उदासी। मसीहा बनकर आ गया है सोनू सूद भय्या और उनकी टीम, स्मृतियाँ ताज़ी हुई, याद आया बचपन, वह लड़कपन जो बीस वर्ष पूर्व जब में प्राइमरी कक्षा में था। मेरे मित्र, बुलबुल परिवार इसी तरहं का खेल खेला करते थे।
गिनती आज भी वही है, परिवर्तन आया तो व्यक्ति में, उसके विचारों में, चिंतन में…आरंभ हुआ अनलॉक वन, आगे भी टू, थ्री, फ़ॉर, फाइव… क्योंकि स्वदेश टॉप फाइव की सूची के अनक़रीब आ चुका है, यदि ये सूचकांक आज अर्थव्यवस्था को लेकर होता तो आज हमारा मुल्क अमरीकी पत्रिका फोर्ब्स, गिनीज़ बुक के साथ-साथ ज़मीनी स्तर पर भी अपना नाम दर्ज करा चुका होता। प्रशंसा भरे ट्वीट जैसे ईद- दीवाली और अन्य शुभ अफसर पर दृष्टिगोचर  होते हैं, वैसे ही दिखाई पड़ते। अभी तक दुर्भाग्यवश हम शिक्षा, रोज़गार, अर्थ व्यवस्था, गरीबी, भुखमरी, पेयजल, उद्योग जगत, व्यापार, आदि में अपना स्थान उच्च स्तर का न बना सके, संक्षेप में उल्लेख करता हुआ आगे बढ़ता चलूँ, जब पांच वर्ष पूर्व की बात संज्ञान में आ ही गई।
2000-2015 तक सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य (millennium devlopment goals-MDG) एजेंडा खूब ज़ोरो शोर से देश-विदेश में प्रचलित हुआ। परंतु हुआ किया,इनके लक्ष्य भुखमरी, गरीबी, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा हासिल करना, कई बीमारी से निजात दिलाना और भी ऐसे-ऐसे लक्ष्य उसने भी लॉकडाउन, की तरहं अनलॉक के रूप में छलांग लगाई, MDG से बाहर आकर फिर आया नया एजेंडा, आठ लक्ष्यों का लक्ष्य अब सतत विकास लक्ष्य (sustainable development goals SDG-2030) के रूप में 17 लक्ष्य लेकर सामने आया।
ये सम्पूर्ण विश्व से गऱीबी के सभी रूपों की समाप्ति, सभी उम्र के व्यक्तियों के स्वास्थ्य सुरक्षा, स्वस्थ जीवन को बढ़ावा, देशों के बीच और भीतर असमानताओं को कम करना, समावेशी और न्याय संगत गुड़वत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने, रोज़गार के अफ़सर देने की मांग को अन्य देशों के साथ गारंटी कार्ड लेकर आया। MDG लक्ष्यों को 2015 तक कोई भी सफलता प्राप्त नहीं हो सकी सुनने में आता है, इसका मुख्य कारण यह था कि इन सभी आठ लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तय नीतियों का क्रियान्वयन सशक्त नहीं था। खैर जाने दो अब सतत विकास लक्षय 2030 एजेंडे से भारत एक विकसित तथा समृद्ध राष्ट्र बन सकता है। सभी 17 लक्ष्यों की प्राप्ति होगी, वह दिन भी दूर नहीं, और दस वर्ष हैं जब छब्बीस वर्ष पश्चात टिड्डीदल ने अपना आतंक मचाया है और उसको हम प्राकृतिक आपदा घोषित करने व वैज्ञानिकों से विचार-विमर्श करने की तैयारी कर रहे हैं, सतत विकास लक्ष्य भी पूरा होगा। स्वदेश एक विकसित तथा समृद्ध राष्ट्र बनेगा।…
लड्डन मियां जाने दो ये ख्वाबों-ख्यालों की बाते, हम तो इतना जानते हैं, हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई, क्या बोलते मियां भाई, ज़मीनी स्तर की बात में जितना दम-खम है वह किसी बात में नहीं आज-कल जो सम्पूर्ण विश्व में सिक्का चल रहा है वह है बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता सोनू सूद भय्या का, चिलचिलाती धूप में खड़े होकर, अपनी भूख-प्यास को प्रवासी आश्रयहीन मज़दूरों की भूख-प्यास के समान समझना, देखना, महसूस करना, फिर उन्हें बस के साथ-साथ चार्टर्ड विमान द्वारा निस्वार्थ तन-मन-धन से उनके गंतव्य पर सुरक्षित भेजने का शुभारंभ करना।
प्रवासी मजदूर जिंदगी के चौराहे पर खड़ा था, किधर जायँ, क्या करें, सारी संभावनाएं हाथों छूटे शीशे की तरहं चकनाचूर हो गई थी। और मौत के दिन चढ़े थे। इतने में ट्विटर, टेलीविजन, फ़ेसबुक, वाट्सऐप, आदि सोशल मीडिया आइकन पर बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता सोनू सूद भय्या का वह ट्वीट जो प्रवासी मज़दूरों का मसीहा बनकर उभरा। प्रवासी मज़दूरों के चेहरों पर, सूखे-पपड़ी भरे होंठो पर प्रसन्नता की आशा की किरण जो लम्बी अवधि से गुम-सुम थी, पूँजी भरे ह्रदय उनकी प्रसन्नता को कैद किये थे फिर से लौट आई, इस बार संतोष क़रीब आया, खूब आया, बेशुमार आया। ट्वीट कुछ यों था कुछ-कुछ संज्ञान में है, क्योंकि मेरी सारी प्रसन्नता और उसमें निकले आँसू निसर्ग तूफ़ान के साथ समस्त संसार में घुल-मिल गए थे सोनू सूद भय्या का नम आंखों से वह ट्वीट दृष्टिगोचर है..
“चलो घर छोड़ आऊँ, मैं आपका मित्र, आपका भाई, आपका बेटा,आपका साथी सोनू सूद, मेरे प्यारे श्रमिक भाइयों और बहनों अगर आप मुंबई या अन्य राज्यों में हैं और आप अपने आश्रय पर जाना चाहते हैं तो कृपया इस नम्बर पर कॉल करें-1800121371 या अपना नाम एवं पता वॉट्सऐप करें नंबर है-9321472118
प्रवासी मजदूरों का मन इस समय हर थकावट से दूर, हर चिंता से मुक्त, रंगीन उमंगों से भरा पूरा था, आखिर क्यों न हों, लड्डन मियां। सोनू सूद भय्या एवं उनकी टीम मजबूरों के पपड़ी भरे होंठों पर मुस्कान लाने, उन्हें उनके निर्धारित स्थान पर भेजने का जो शुभकार्य इतनी गर्मी के बावजूद कर रहे हैं, वास्तव में उनकी ईद अब आई, कुछ आशा की किरण दिखाई दी। सोनू सूद भय्या के भाग्य से ये सुख का दिन आया, मेरी संतोषी बहन भी अब खुश है, कहती है, भगवान ने भी मेरी अरज सुनली जो सोनू सूद मसीहा के रूप में सामने प्रकट हो गए, अपने आश्रय पर सुरक्षित स्पेशल हवाई जहाज़ से अपने घर सुरक्षित आ पहूंची। दोनों बच्चों को देखकर मुस्कान की चपलता स्थिर मग्न होकर दाँतों को मोतियों की सी मनमोहिनी आब दे रही है। सभी लोग प्रसन्न हैं।
केरल में फंसे 167 आश्रयहीन प्रवासियों को बाकयदा चार्टर्ड विमान से उड़ीसा, उत्तराखण्ड के 173 प्रवासी को स्पेशल विमान से उनके क्षेत्र सही सलामत पहुंचाया। आगे भी वह ऐसी चार्टर्ड विमान की व्यवस्था करेंगे, हज़ारों मज़दूरों को अबतक वह बस सेवा, के माध्यम से महाराष्ट्र के ठाणे से कर्नाटक गुलबर्गा के लिए एवं अन्य राज्यों के लिए हवाई सेवा के द्वारा सुरक्षित घर पहुंचा चुके हैं।
हवाई चप्पल वाले आश्रयहीन मजबूर हवाई जहाज़ में बैठकर उनकी संतोष की लहरें निसर्ग, अम्फान की लहरों से कहीं अधिक लहरे ले रही थीं, दूसरी तरफ एक बहन अपने भाई से मिलकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एवं प्रत्येक दयावान व्यक्ति, साथ में नेतागण भी अप्रत्यक्ष रूप से बधाई एवं शुभकामनाएं सोनू सूद को दे रहे हैं। हर वह प्रवासी मज़दूर जो भूल गया था जीवित रहना, भरे-पेट रहना,परिवार से मिलना और दुःख-सुख में उनका साथ देना। पैदल चलकर घर जाने पर मजबूर प्रवासी (migrant workesrs) मज़दूरों की सहायता को सोनू सूद विलन की भूमिका निभाते-निभाते आज सुपर हीरो बन बैठे, आखिर क्यों न बने, ज़मीनी स्तर पर आकर 47 डिग्री टेम्प्रेचर होने के पश्चात वह ऐसा शुभकार्य का शुभारंभ किए, जो मुंबई से अलग-अलग राज्यों के लिए न सिर्फ बस सेवा चलाई, परंतु अन्य राज्यों से बाकायदा परमीशन भी लिए, सम्पर्क नंबर भी सार्वजनिक किए, परंतु ट्विटर वाले साहिब आज भी साहिब का किरदार बख़ूबी ढंग से निभा रहे हैं, आशा भी है आगे भी निभाते रहेंगे।
क्योंकि उन्हें आता है, चुटकी से कपड़ा साफ़ करना, उनका शुभ कार्य होगा तब जब एयर कंडीशनर स्टेज, फूलों के आभूषणों से सजा हुआ डाइज़, उसके पीछे दो से चार गनर, पीछे 16 बाई 12 का बना हुआ फिलेक्स, शानदार शब्दों से गुथा हुआ नाम, दो उंगलियों से दिखाया हुआ विक्ट्री वाला चित्र, नाम, पदनाम, सामने  पड़ा  मखमली रूई से बना हुआ सोफासेट, उसपर आसीन होंगे सात से आठ सेठ, गले में मालार्पण करते हुए, दो से तीन बेरोज़गार, सामने मूकदर्शक बने, चिलचिलाती धूप में यही आश्रयहीन प्रवासी मज़दूर, जो आज ज़मीनी स्तर का यथार्थ रूप देख रहा है, वह ये क्षण कभी स्वप्न में भी नहीं भूल सकता। यही उनकी चर्चा-परिचर्चा, वाद-विवाद, संवाद झेलता है, चाय पर ,गली-कूचों में बैठकर बड़ी शान-ओ-शौकत के साथ एक-दूसरे से वार्तालाप करता है।
लेकिन सोनू सूद जैसे व्यक्ति ने उनके मुँह पर तमाचा मारा है, कि ये प्रवासी मज़दूर भी किसी माई के लाल हैं, उन्होंने प्रवासियों के लिए ही नहीं कोरोना योद्धाओं के लिए भी अपना वी.आई.पी होटल देकर उनकी सहायता कर, उनके प्रति सहानुभूति प्रकट कर देश-विदेश को ये संदेश दे दिया कि ये मजबूर हैं, इनकी मजबूरी का लाभ हम नहीं उठा सकते, सोनू सूद कोरोना की समस्या से ही नहीं, निसर्ग साइक्लोन, हो या फिर कोई व्यक्ति जो आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है सभी के लिए भगवान बन चुके हैं, सोनू सूद, दिन-रात ज़मीनी स्तर पर आकर सोनू सूद भय्या ने मजबूरों की सहायता की है, लड्डन मियां, ज़मीनी ताकत, चिलचिलाती धूप में कार्य करना, मजदूरों के हक़ में समझौता शाना ब शाना खड़े होकर होना और एयर कंडीशनर में बैठकर हुए समिट समझौते में इतना ही अंतर होता है, जो कार्य हम अन्य देशों से मिलकर अभी तक नहीं कर सके, सालों पर साल चढ़ जाते हैं। फिर भी परिणाम उभर कर नहीं प्रकट होता। ज़मीनी स्तर पर आकर काफ़ी लक्ष्यों को सोनू सूद भय्या जैसे महान योद्धा ने कर निभाया, स्वयं और उनकी टीम कोरोना एवं निसर्ग में फसें व्यक्तियों के लिए भी मसीहा बनकर सामने आकर अपना कार्य बखूबी ढंग से सफलतम रूप में परिणामस्वरूप कर रही है। वह तीस हज़ार व्यक्तियों को निसर्ग तूफ़ान से पहले ही सुरक्षित स्थान पर भेजने का कार्य भी किए।
अब देखने की बात ये है कि इंडस्ट्री से कई सेलीब्रिटी जो उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं, क्या वह ज़मीनी स्तर पर आकर नारियल फोड़कर बसों से असहाय आश्रयहीन मजबूरों को उनका निर्धारित स्थान दिला पाएंगे ? या फिर वह चिलचिलाती धूप में चल रहे प्रवासी मज़दूरों के प्रति अपनी रूखी-सूखी सहानुभूति हैशटेग के साथ सोशल मीडिया पर अपलोड करते रहेंगे। उनके फ़ॉलोअर्स उन्हें लाइक, दिल वाली इमोजी भेंट करते रहेंगे। क्योंकि उनकी नज़र में ये भी एक खूबसूरत, निस्वार्थ काम है। हो सकता है उनकी दृष्टि मैं ये कार्य शायद लाखों प्रवासी मज़दूरों के दुखों को कम कर रहा हो।
आज देश-विदेश का प्रत्येक अक्लमंद नागरिक, सोनू सूद जैसे महान योद्धाओं को सैल्यूट कर रहा है, न वह धर्म देखता है, न वह जाति, न वह रंग-रूप देखता है, वह देखता है, मज़लूमों को, आश्रयहीन, भूखी-प्यासी जनता को, फुटपाथ पर सोई बेबस, लाचार जनता को वास्तव में लड्डन मियाँ यही लाखों प्रवासियों के दुखों को कम करने की महत्वपूर्ण औषधि है।

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