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ग़ज़ल : इक दिन ये माटी ही तेरी कहानी बनेगी

इक दिन ये माटी ही, तेरी कहानी बनेगी यारा तेरी फितरत ही, तेरी निशानी बनेगी भूल जायेगी तेरी शक्ल ओ सूरत ये दुनिया, बस तेरी करनी ही, सब की जुबानी बनेगी गर निकाल दे अंदर से ये हवस का जिन,… Read More

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कविता : सबको मज़ाक लगता है

अब तो मेरा दर्द भी, सबको मज़ाक लगता है मेरा तो अब रोना भी, सबको मज़ाक लगता है कर देते हैं कभी दोस्त ज़िक्र मेरे हालात का, यारों का ये जज़्बा भी, सबको मज़ाक लगता है भला इस बेखबर दुनिया… Read More

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कविता : अजनबी पर दोस्त

ज़रा सी दोस्ती कर ले.., ज़रा सा साथ निभाये। थोडा तो साथ दे मेरा …, फिर चाहे अजनबी बन जा। मिलें किसी मोड़ पर यदि, तो उस वक्त पहचान लेना। और दोस्ती को उस वक्त, तुम दिल से निभा देना।।… Read More

पुस्तक समीक्षा : धूप-छांव-एक प्रेमपरक पूर्ण अनुभूति है

पुस्तक शीर्षक : धूप-छाँव लेखक : उदय राज वर्मा ‘उदय’ मूल्य : 250 रूपये प्रकाशक : द इंडियन वर्डस्मिथ, पंचकुला ‘धूप-छांव’ काव्य संग्रह के रचयिता कविवर उदयराज वर्मा ‘उदय’ का जन्म मल्लिक मोहम्मद जायसी की धरा अमेठी (उत्तरप्रदेश) में होलिका… Read More

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गीत : मुझे क्यो चुना

तुमने मुझे क्यों चुना, मोहब्बत करने के लिए। मुझमें तुम्हें क्या, अच्छा और सच्चा लगा। मैनें तो तुमसे कभी, निगाहें मिलाई ही नहीं। फिर भी तुमने अपना दिल, मेरे को क्यों दिया।। दिल के झरोखों से क्या तुम्हें कोई तरंग… Read More

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जन्मदिन पर विशेष : शाहरुख की सलाह पर निर्देशक बने करण जौहर

करण जौहर इस नई शताब्दी में नई जेनरेशन की पसंद की फिल्में बनाने वाले निर्माता और निर्देशक हैं। वे पहले फिल्म निर्देशक आदित्य चोपड़ा की टीम में थे। यश फिल्मस के बैनर तले जब आदित्य दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे बना… Read More

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ईद मुबारक

दीपक में अगर नूर न होता तन्हा दिल ये मजबूर न होता मैं आपको ईद मुबारक कहने जरूर आता अगर आपका घर इतना दूर न होता   सदा हंसते रहो जैसे हसते है फूल दुनिया के सारे गम तुम जाओ… Read More

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जन्मदिन विशेष : कविवर सुमित्रानंदन पंत

“वियोगी होगा पहिला कवि  आह से उपजा होगा गान  उमड़ कर ऑखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान।” प्रकृति की महासभा का कुशल वक्ता– कवि जिस मनोदशा में लिख रहा होता है वह गुणात्मक शब्द-शैली के साथ-साथ मन के भीतर… Read More

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ग़ज़ल : कह दो कोई उनसे कि

कह दो कोई उनसे कि, बाग़ में आना-जाना छोड़ दें कह दो कोई उनसे कि, फूलों से अदा चुराना छोड़ दें खुशबू बनके दफ़न है सीने में मेरी सासें जिनकी कहदो कोई उनसे कि, बालों में गज़रा लगाना छोड़ दें… Read More

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कविता : सीख

हम देखते हैं, सूखे हुए पेड़ों को जर्जरित पौधों को कठिन काल की हर दौर में एक पीड़ा है उनकी जिंदगी ये चीखते नहीं, चिल्लाते नहीं है व्यथा का मुंह कभी खोलते ही नहीं कुछ मांगते नहीं गिड़गिड़ाते दिखते नहीं… Read More