हम देखते हैं,
सूखे हुए पेड़ों को
जर्जरित पौधों को
कठिन काल की हर दौर में
एक पीड़ा है उनकी जिंदगी
ये चीखते नहीं,
चिल्लाते नहीं है
व्यथा का मुंह कभी
खोलते ही नहीं
कुछ मांगते नहीं
गिड़गिड़ाते दिखते नहीं
फिर भी ये
बहुत कुछ बताते हैं
जीवन के हर पहलू को
हमें सिखाते हैं
मनुष्य के पहले ही
इनका जन्म हुआ
जिंदगी गुजरते आये हैं
ऐसा ही चुपचाप अनादि से
त्याग, समर्पण की भव्य भावना
इनके कण – कण का एक संदेश है
जो हमें सीखने को
हर समय मिलता है ।