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ग़ज़ल : धोखे से पाई सफलता
धोखे से पाई सफलता क्या सच में सफलता है? चांद बुलंदी पे है फिर भी दाग़ तो दिखता है रोज़ उसे ही लिखा मैंने कश्मकशीं देखों. इश्क़ मेरा वो किसी ओ को ही समझता हैं इश्क़ को मैंने जवानी का… Read More
गीत : मोहब्बत या स्वार्थ
मिले जितने भी अब तक, मोहब्बत करने के लिए। मोहब्बत कम थी उन्हें, नजर बस पैसे पर थी। आज कल यही माहौल, जमाने में चल रहा। इसलिए अब मोहब्बत का, अहसास दिलो में नहीं बचा।। समझ पाये ही नही, किसी… Read More
कहानी : ख़ैराती जयचंद
पाठक टोली और शर्मा टोली में पिछले महीने वर्चस्व को लेकर जमकर मारपीट हो गई थी। मारपीट की घटना में पाठक टोली के दो और शर्मा टोली के आठ लोग घायल हुए थे। शर्मा टोली के ज़्यादा लोग घायल हुए… Read More
कविता : दरख्त का दर्द
साहब ने एसी रूम में बैठ नो आब्जेक्शन लिख दिया चंद मिनटों में ही लकड़हारों ने मेरा वजूद मिटा दिया। दशकों तक हवा-पानी पाकर बड़ी हुई थी टहनियां। मेरे बड़े पत्ते तपती धूप में राहगीरों को देते थे छाया। बारिश… Read More
कविता : इस कुदरत से अब डरना सीख ले
शुक्र है खुदा का कि तू अपने घर में है तू उसकी सोच जो मौत की डगर मैं है ये घूमने फिरने की चाहत को भूल जा यारा हर किसी की ज़िंदगी अधर में है ये इंसानियत नहीं सिर्फ अपनी… Read More
कविता : सबको मज़ाक लगता है
अब तो मेरा दर्द भी, सबको मज़ाक लगता है मेरा तो अब रोना भी, सबको मज़ाक लगता है कर देते हैं कभी दोस्त ज़िक्र मेरे हालात का, यारों का ये जज़्बा भी, सबको मज़ाक लगता है भला इस बेखबर दुनिया… Read More
कविता : राजनीति और काला
रंगों की होती है राजनीति आखिर किसने बनाया काले रंग को शोक का प्रतीक और सफेद को शांति का काला मुझे तो बहुत भाता है काली शर्ट काली टी शर्ट और काली पैंट काले लोग मुझे उतने अच्छे नहीं लगते… Read More
कविता : पर्यावरण
मेरे भी दिल मे अभी, उम्मीदे बहुत बाकी है। बस सभी का साथ चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए । इंसानों का साथ चाहिए। जो हर मोड़ पर साथ दे, इसे बचने के लिए।। तप्ती हुई इस धूप में, शीतल… Read More
विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं
बचपन से किशोरावस्था तक, जब हम किसी भी पशु-पछी को बस एक उपभोग की चीज़ मानते थे, दर्द से कोई वास्ता नहीं था तब-तक उनकी चीर फाड़, निगल जाने को भी कभी ग़लत नहीं माना, न ही कभी कोई कष्ट… Read More