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अब तो मेरा दर्द भी, सबको मज़ाक लगता है
मेरा तो अब रोना भी, सबको मज़ाक लगता है

कर देते हैं कभी दोस्त ज़िक्र मेरे हालात का,
यारों का ये जज़्बा भी, सबको मज़ाक लगता है

भला इस बेखबर दुनिया को खबर क्या दूँ मैं,
मेरा तो अब मरना भी, सबको मज़ाक लगता है

कैसे दिखाऊं कि घायल है दिल का ज़र्रा ज़र्रा,
अब तो ज़र्द चेहरा भी, सबको मज़ाक लगता है

गर अपनों की चले तो बेच दें वो मेरी खाल भी,
अब बेबसी जताना भी, सबको मज़ाक लगता है

‘मिश्र’ कब तक मैं खेता रहूँ इस टूटी नइया को,
अब तो मेरा डूबना भी, सबको मज़ाक लगता है

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