पाठक टोली और शर्मा टोली में पिछले महीने वर्चस्व को लेकर जमकर मारपीट हो गई थी। मारपीट की घटना में पाठक टोली के दो और शर्मा टोली के आठ लोग घायल हुए थे। शर्मा टोली के ज़्यादा लोग घायल हुए थे और पाठक टोली के कम, जिसके कारण गांव वाले पाठक टोली को विजेता समझ रहे थे और इस वज़ह से शर्मा टोली के लोगों में आक्रोश व्याप्त था। शर्मा टोली के लोग अपनी हार का बदला लेना तो चाहते थे लेकिन पाठक टोली के पहलवान युवकों से उन्हें डर भी लग रहा था अंततः उन्होंने छल से बदला लेने का फैसला किया।
राहुल रौतेला भी उसी गांव का युवक था लेकिन वह ना ही शर्मा टोली का था और ना ही पाठक टोली का। तक़रीबन पचास वर्ष पूर्व राहुल रौतेला के दादाजी को पाठक टोली के पुलकित नारायण पाठक ने अपनी ज़मीन देकर बसाया था। इस वज़ह से पाठक टोली के युवक राहुल और उसके भाइयों को ख़ैराती कहकर चिढ़ाया करते थे। राहुल को यह बात बहुत चुभती थी लेकिन बर्दाश्त करने के सिवाय उसके पास कोई चारा नहीं था।
पाठक टोली में घुसकर सभी लोगों को एक साथ पीटना शर्मा टोली के लोगों को असंभव लग रहा था। इसलिए उन्होंने एक-एक कर सबको पीटने की योजना बनाई। शर्मा टोली के लोग जानते थे कि राहुल अव्वल दर्ज़े का शराबी है और शराब की ख़ातिर वह उनकी इस योजना में परोक्ष रूप से उनका साथ दे सकता है। जब उन लोगों ने राहुल से इस संबंध में बात की तो वह उनका साथ देने को तैयार हो गया। उसने सोचा, इसी बहाने उसे शराब तो मिलेगी ही और ख़ैराती शब्द से छुटकारा भी मिल जाएगा।
शर्मा टोली के सत्यम ने राहुल को शराब की बोतल देते हुए कहा- “तुझे कल दस बजे दिन में किसी भी तरह से पाठक टोली के विक्की को गाँव के शिव मंदिर के पास वाले मैदान में लेकर आना है। लेकिन उसके साथ पाठक टोली का कोई भी व्यक्ति नहीं होना चाहिए।”
“ऐसा ही होगा। तुम लोग कल दस बजे मंदिर के पास विक्की का इंतज़ार करना।” कहते हुए राहुल वहाँ से चला गया।
राहुल के जाने के बाद विक्की की पिटाई करने के लिए शर्मा टोली के लोगों ने अपने चार युवकों का चयन किया।
अगले दिन सुबह साढ़े नौ बजे राहुल हाँफता हुआ विक्की के घर आया और कहने लगा- “अरे विक्की, शिव मंदिर के पास जो तेरा खेत है उसमें एक साँड़ घुस गया है। मैंने उसे भगाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं भागा। जल्दी चल, नहीं तो वह साँड़ तेरे खेत का सारा फ़सल बर्बाद कर देगा।”
राहुल की बातें सुनकर विक्की अपनी मोटरसाइकिल पर राहुल को बिठाकर अपने खेत की ओर चल पड़ा।
उधर शिव मंदिर के प्रांगण में बैठकर शर्मा टोली के चारों युवक विक्की को मारने की बातें कर रहे थे, जिसे मंदिर के पुजारी बाबा ने सुन लिया और फोन करके पाठक टोली के सोनू पाठक को इसकी जानकारी दे दी। इस बात की जानकारी मिलते ही सोनू ने विक्की को फोन किया। विक्की का मोबाइल फोन घर में ही छूट गया था, इसलिए उसकी मां ने फोन रिसीव किया और राहुल के साथ शिव मंदिर के पास वाले खेत की ओर जाने वाली बात उसे बताई।
सोनू सारा षड्यंत्र समझ गया। उसने तुरंत पूरे पाठक टोली में इस षड्यंत्र की बात फैला दी। षड्यंत्र की सूचना मिलते ही पाठक टोली के लगभग एक दर्जन युवक लाठी-डंडों के साथ जीप में बैठकर शिव मंदिर की ओर चल पड़े।
उधर राहुल के साथ विक्की अपने खेत के पास पहुँच चुका था। मोटरसाइकिल से उतरकर उसने अपने खेत का मुआयना किया। लेकिन उसे कहीं भी साँड़ नहीं दिखा।
“यहां तो कोई भी साँड़ नहीं है।” विक्की ने कहा।
“लगता है किसी ने भगा दिया। चलो अच्छा हुआ।” राहुल ने कहा।
“हाँ, चलो घर चलते हैं।” कहते हुए विक्की जैसे ही पीछे मुड़ा, उसने शर्मा टोली के चार युवकों को लाठी लेकर अपनी ओर आते हुए देखा। शर्मा टोली के चारों युवक अभी विक्की के पास पहुँचे ही थे कि तभी पाठक टोली के युवकों की टोली भी वहां पहुँच गई। पाठक टोली के युवकों की टोली को देखकर शर्मा टोली के चारों युवक डर गए और राहुल को शक की नज़रों से देखते हुए कहने लगे- “अरे गद्दार! तू तो जयचंद से भी बड़ा गद्दार निकला।”
पाठक टोली के युवकों ने पहले शर्मा टोली के चारों युवकों को जमकर पीटा और उसके बाद एक तख़्ती पर “मैं गद्दार हूं। मेरा नाम ख़ैराती जयचंद है।” लिखकर उस तख़्ती को राहुल के गले में लटका दिया और उसे पूरे गांव में घुमाया।
उस दिन के बाद से गाँव के सभी लोग राहुल को “ख़ैराती जयचंद” कहकर पुकारने लगे।

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