webseries sequels

सीक्वल के भरोसे ओटीटी

ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत जब देश में हुई तो किसी को इतना अंदाजा नहीं था कि यह अपनी पकड़ भारतीय दर्शकों पर इतनी ज्यादा बना लेगा। शुरुआती वेब सीरीज को देखकर लगा कि बस कुछ एक कंटेंट ऐसे हैं जिन्हें… Read More

ग़ज़ल : कहाँ ले जायेंगे

अच्छे दिन वो जाने कब तक आयेंगे तबतलक हम खाक़ में मिल जायेंगे।। रोशनी पहुंचेगी जब तक इल्म की ये अन्धेरे और भी बढ़ जायेंगे।। वक्त का सूरज भी कितना सुस्त है सालोंं उगने में उसे लग जायेंगें।। सभ्यता ने… Read More

mosam flower

लेख : शरद ऋतु

श्वेत चंद्रमा रजत रश्मियां, रूप यौवन से अपनी छटा बिखेर रहा।। ओस की बूंदें बरस रही रूप यौवन से लदे, खिल रहे खेत सारे।। सुंदर रूप हुआ धरा का फूलो की खुशबू से महका आंचल वसुंधरा का।। सतरंगी पुष्प –… Read More

ramji

कविता : मर्यादा की मूरत राम

माँ कौशल्या की कोख से नृप दशरथ सुत जन्में राम। नवमी तिथि चैत्र मास को अयोध्या का था रनिवास।। निहाल हुए अयोध्यावासी, बजने लगी चहुंओर बधाई। जन जन के अहोभाग्य हो, मानुज तन ले प्रगटे रघुराई।। माता पिता की करते… Read More

kavya

नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन

आज नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया के तुलसी सभागार में मासिक नागरी काव्य गोष्ठी सभाध्यक्ष आचार्य परमेश्वर जोशी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। जिसके मुख्य अतिथि काशी से पधारे सुप्रसिद्ध कवि गज़लकार और समीक्षक डॉ. चंद्र भाल सुकुमार और विशिष्ट अतिथि… Read More

nirwan

कविता : निर्वाण की ओर

जन्मी उर में जिज्ञासाएँ, देखा जब निस्सार जगत; पीड़ा मानव मन की देखी, शूल हृदय में था चुभा। “उर्वरा थी भूमि मन की, बीज जा उसमें गिरा।।” उठी हूक अंतःस्थल में, ये कहां हम आ गए? छोड़ सारे वैभवों को,… Read More

dr rajendra prasad

कविता : डॉ. राजेंद्र प्रसाद

जीरादेई सीवान बिहार में तीन दिसंबर अठारह सौ चौरासी में, जन्मा था एक लाल। दुनिया में चमका नाम उसका, थे वो बाबू राजेंद्र प्रसाद।। तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष बन, संविधान सभा के अध्यक्ष रहे। राष्ट्रपति बन राजेंद्र बाबू जी, जन… Read More

tiranga

कविता : नया कश्मीर

लाल चौक पर फ़हरे तिरंगा मन में ये एक आशा है,कश्मीर बने स्वर्ग सुन्दर-सा दिल की ये अभिलाषा है।                  बहुत हुआ खून-खराबा                   रक्तरन्जित धरा ये कहे,                  सपूतो के तन में मेरे अब                   लहू प्रेम का बस बहे।  धारा-धारा कर तुमने  द्वेष की… Read More

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कविता : अन्नदाता किसान

अन्नदाता होकर भी ख़ुद पानी पीकर अपना भूख मिटाएँ पर जग को भूखा न सोने दे ऐसे अन्नदाता किसान हमारे… चाहे आँधी आये या तूफ़ान चिमिलाती धूप हो या कड़ाके की ठण्ड मेहनत करने से यह नहीं घबराते बच्चे समान… Read More

ashirwaad

भजन : आशीर्वाद से

तेरा आशीष पाकर, सब कुछ पा लिया हैं। तेरे चरणों में हमने, सर को झुका दिया हैं। तेरा आशीष पाकर …….। आवागमन गालियां न हत रुला रहे हैं। जीवन मरण का झूला हमको झूला रहे हैं। आज्ञानता निंद्रा हमको सुला… Read More