“जंगलों में जब टेशु खिलता है। महुआ गदराता है। ताड़ी शबाब पर आती हैं। हवाओं में हल्की-हल्की रोमांच भरने वाली ऊष्मा भरने लगती है, तब फाल्गुन आता है और तब भगोरिया आता है।” भगोरिया पर्व लोक संस्कृति के पारंपरिक लोकगीतों… Read More
कविता : चांदनी रात
यह चांदनी रात कितनी निराली यह तो मदवाली है।। श्वेत चंद्रमा रजत रश्मियां, रूप यौवन से अपनी छटा बीखराती।। चांदनी रात में सुंदर रूप वसुंधरा का आंचल महाकाती ।। सतरंगी पुष्प – लताओं से करती श्रृंगार खेत खलिहानों की लहलहाती… Read More
लेख : कोरोना का बढ़ता प्रकोप
पिछले साल लाकडाउन के बाद देश ने दूसरे देशों की तुलना में अपने आपको संभाल लिया था। इस बार कोरोना संक्रमण की गति फिर से तेज हो गई है। अब पिछले वर्ष 6 माह में जितने मरीज मिले , उतने… Read More
लेख : नारी, माया या देवी
नवरात्रि में दुर्गा के रूप में पूजी जाने वाली शक्ति रूपा स्त्री आज अधिकांश रूप में बेबस और लाचार नजर आती है। नारी का रूप बदला है, किन्तु नारी के प्रति संकीर्ण अवधारणाएं आज भी नहीं बदली है। आज भी… Read More
कविता : रंग रसिया
रंगो का त्यौहार है फूलो की बरसात है जीवन में उमंगो को जगाने रंग रसिया आया मेरे द्वार है।। ओ रंग रसिया तुम्हे कैसे रंग लगाए और कैसे खेले होली? स्नेह बेशुमार है, सात रंगों की फूआर है प्रेम मोहब्बत… Read More
लेख : हमारी संस्कृति हमारा समाज और हम
सभ्य व आदर्श समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सम्पूर्ण प्रतिभा व क्षमता के द्वारा सुख साधनों को बढ़ाने चाहिए जो दूसरो की सवंत्रता में बाधक न हो यदि बाधक हो, तो उनका सहयोग करे । *You must know whole… Read More
ग़ज़ल : मेरा गम तो छुपा है आंखो में
मेरा गम तो छुपा है आंखो में एक तू ही तो है निगाहों में।। अब मेरा इम्तिहान मत लेना जिसके ख्वाबों से दूर रहती हूं, दरअसल वो ही ख़्वाब है तु मेरा।। देख क्या इंतखाब है मेरा लब पे मैने… Read More
लेख : वक्त के साथ आगे बढ़ते नारी के कदम
“नारी यदि वर्तमान के साथ भविष्य को भी अपने हाथ में ले ले तो वह अपनी शक्ति से बिजली की तड़क को भी लज्जित कर सकती है।” जब नारी अपने कदम आगे बढ़ाती हैं , तो वह कही इतिहास लिख… Read More
कविता : अनजान पहेली
एक पहेली सी हो तुम थोड़ी सी जानी पहचानी पास रहती मगर अनजानी सी ।। खुद को समेटे कुछ कहती हुई नज़रे झुकाएं हर वक़्त मुस्कुराती हुई।। चन्द लम्हों में चुरा लेती मुझको दूर हो के हर वक़्त सताती मुझको।।… Read More
कविता : जीवन के रंग
जीवन के अलग ढ़ंग है, उसमे बिखरे अनेकों रंग है। प्रकृति का अलग राग है, उसमे अलग ताब है।। प्रकती का तपन मानव को जीवन राग दिखाता है, जीवन में अनेकों रंग दर्शाता है।। प्रकृति में हर कहीं बिखरे है… Read More