यह चांदनी रात कितनी निराली यह तो मदवाली है।। श्वेत चंद्रमा रजत रश्मियां, रूप यौवन से अपनी छटा बीखराती।। चांदनी रात में सुंदर रूप वसुंधरा का आंचल महाकाती ।। सतरंगी पुष्प – लताओं से करती श्रृंगार खेत खलिहानों की लहलहाती… Read More

यह चांदनी रात कितनी निराली यह तो मदवाली है।। श्वेत चंद्रमा रजत रश्मियां, रूप यौवन से अपनी छटा बीखराती।। चांदनी रात में सुंदर रूप वसुंधरा का आंचल महाकाती ।। सतरंगी पुष्प – लताओं से करती श्रृंगार खेत खलिहानों की लहलहाती… Read More
” जंगलों में जब टेशु खिलता है। महुआ गदराता है। ताड़ी शबाब पर आती हैं। हवाओं में हल्की – हल्की रोमांच भरने वाली ऊष्मा भरने लगती है , तब फाल्गुन आता है और तब भगोरिया आता है।” भगोरिया पर्व लोक… Read More
पिछले साल लाकडाउन के बाद देश ने दूसरे देशों की तुलना में अपने आपको संभाल लिया था। इस बार कोरोना संक्रमण की गति फिर से तेज हो गई है। अब पिछले वर्ष 6 माह में जितने मरीज मिले , उतने… Read More
रंगो का त्यौहार है फूलो की बरसात है जीवन में उमंगो को जगाने रंग रसिया आया मेरे द्वार है।। ओ रंग रसिया तुम्हे कैसे रंग लगाए और कैसे खेले होली? स्नेह बेशुमार है, सात रंगों की फूआर है प्रेम मोहब्बत… Read More
सभ्य व आदर्श समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सम्पूर्ण प्रतिभा व क्षमता के द्वारा सुख साधनों को बढ़ाने चाहिए जो दूसरो की सवंत्रता में बाधक न हो यदि बाधक हो, तो उनका सहयोग करे । *You must know whole… Read More
मेरा गम तो छुपा है आंखो में एक तू ही तो है निगाहों में।। अब मेरा इम्तिहान मत लेना जिसके ख्वाबों से दूर रहती हूं, दरअसल वो ही ख़्वाब है तु मेरा।। देख क्या इंतखाब है मेरा लब पे मैने… Read More
“नारी यदि वर्तमान के साथ भविष्य को भी अपने हाथ में ले ले तो वह अपनी शक्ति से बिजली की तड़क को भी लज्जित कर सकती है।” जब नारी अपने कदम आगे बढ़ाती हैं , तो वह कही इतिहास लिख… Read More
एक पहेली सी हो तुम थोड़ी सी जानी पहचानी पास रहती मगर अनजानी सी ।। खुद को समेटे कुछ कहती हुई नज़रे झुकाएं हर वक़्त मुस्कुराती हुई।। चन्द लम्हों में चुरा लेती मुझको दूर हो के हर वक़्त सताती मुझको।।… Read More
जीवन के अलग ढ़ंग है, उसमे बिखरे अनेकों रंग है। प्रकृति का अलग राग है, उसमे अलग ताब है।। प्रकती का तपन मानव को जीवन राग दिखाता है, जीवन में अनेकों रंग दर्शाता है।। प्रकृति में हर कहीं बिखरे है… Read More
भावनाओं की उत्कृष्टता का, आदर्शवादिता का, प्रेम – समर्पण का समुद्र भरता है दिव्य ग्रंथ रामायण महकाव्य गढ़ता है।। एक बूढ़ा पक्षी एक स्त्री की रक्षा करता है, उम्र से हारा जटायू भी एक विचार करता है, तू काहे इस… Read More