यह चांदनी रात
कितनी निराली
यह तो मदवाली है।।
श्वेत चंद्रमा
रजत रश्मियां,
रूप यौवन से
अपनी छटा बीखराती।।
चांदनी रात में
सुंदर रूप
वसुंधरा का आंचल
महाकाती ।।
सतरंगी पुष्प – लताओं से
करती श्रृंगार
खेत खलिहानों की
लहलहाती फसले
खुशहाली का करती बखान।।
चहचहाट चिड़ियों की
पक्षियों की ध्वनि
अनुभव कराती हैं
अपने – अपने घोसलों में जाना
उनका एकजुट रहना
कितना निराला है,
कितना कुछ सिखाती हैं।।
वह श्याम का इंतजार
वैदिक मंत्रो का नाद
वह महासंगीत का स्वर
चांदनी रात के मौन में
नदियों की कल- कल ध्वनि
जो मानो संगीत की पराकाष्ठा का
अनुभव कराती।।
चांदनी रात कितनी प्यारी है
जो हमे यह अनुभव कराती हैं
मानो सब कितना शांति सा प्यार है
चांदनी रात का अनुपम नजारा है।।