ziwan k rang

जीवन के अलग ढ़ंग है,
उसमे बिखरे अनेकों रंग है।
प्रकृति का अलग राग है,
उसमे अलग ताब है।।

प्रकती का तपन
मानव को जीवन राग दिखाता है,
जीवन में अनेकों रंग दर्शाता है।।

प्रकृति में हर कहीं बिखरे है रंग
जीवन में प्यार के एहसासों में घुले है रंग।।

रिश्तों की डोर में कही कटाव है
तो कही प्रेम की धारा।।

कही अपनों में सपनो को खोने का
तो कहीं सपनो में अपनों को खोने का डर है।।

जिंदगी की कशमकश में सोखे हुए हैं
जहन की आवारगी में ढके हुए है।।

अपनेपन के प्रेम के रेशमी धागों में
प्यार की मिठास ढूंढ़ता है ।।

यूं तो राख होना है
कल सबको पर आज की
मिठास को ढूंढता है।।

ऊंची इमारतों तंग गलियों में
प्रेम को समेटे है यह जीवन रंग।।

अर्थहीन संवादों के बीच में भी
प्रेम की पंजरी ढूंढता है ।।

अपनेपन के प्रेम
में ठहरा है जीवन रंग ।।

जीवन के हर रंग में रंगना
जीवन के हर पल को जीना ही
जीवन रंग है।।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *