womanpower

“नारी यदि वर्तमान के साथ
भविष्य को भी अपने हाथ में ले ले
तो वह अपनी शक्ति से बिजली की
तड़क को भी लज्जित कर सकती है।”

जब नारी अपने कदम आगे बढ़ाती हैं , तो वह कही इतिहास लिख जाती हैं। एक समाज में अपना अलग परचम लहराती है। आज की नारी सदैव पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं और उनसे अधिक जिम्मेदारियो का निर्वाहन करती है, वहीं पर हमारा समाज आज भी उन्हें गलत नजरो से देखता है , उन्हें लगता है , कही नारी पुरुषों से आगे न निकल जाए। आज भी उसे सम्भोग की वस्तु समझा जाता है। महिला को उसकी जिंदगी जीने दे दीजिए । उसे अपनी राय के जाल में मत फसिए वह नया सुरक्षित समाज खड़ा कर देगी। वर्तमान में हर फील्ड में लडकिया आगे जा रही है , क्योंकि उन्हें मौका मिल रहा है। लडकिया अपनी मेहनत के बल पर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही और उन्हें सफलता भी मिल रही है। इनकी इन सफलताओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
कोविड और इससे पहले भी देखा गया था कि महिला ओर पुरुष के कामों में जमी – आसमा के बराबर का फ़र्क होता है । क्यों होता है कि घर के कामों को सिर्फ महिला के साथ जोड़ दिया जाता है। हैरत की बात है कि घर की अकेली नायक को कार्यस्थल पर खुद को सिद्ध करना होता है । बावजूद इसके वे समान वेतन की हकदार नहीं ।
नारी कभी मा के रूप में तो कभी बेटी के रूप में भगवान का दिया हुआ वरदान है , जो बिना परिश्रम लिए बड़ी आत्मीयता के साथ सभी परिवार जनो की सेवा करती है और जमीन से आसमा तक तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है।इसके बावजूद समाज में आज भी कई लोग नारी को अबला कहते है और मानसिक व शरारिक रूप से उसका दोहन करते हैं।
जिसमे –
” जिस प्रकार एक पक्षी के लिए केवल एक पंख के सहारे उड़ान सम्भव नहीं है , वैसे ही किसी राष्ट्र की प्रगति केवल शिक्षित पुरुषों के सहारे ही सम्भव नहीं है।”

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