अभी मैं सोकर उठा भी नहीं था कि मोबाइल की बज रही लगातार घंटी ने मुझे जगा दिया। मैंने रिसीव किया और उनींदी आवाज़ में पूछा -कौन? उधर से आवाज आई -अबे! अब तू भी परेशान करेगा क्या? कर ले… Read More
जीवन भी गणित
हम और हमारे जीवन का हर पल किसी गणित से कम नहीं है, जीवन में जोड़ घटाव भी यहाँ कम कहाँ है, गुणा भाग का खेल तो चलता ही रहता है। कभी जुड़ना तो कभी घटना शेष भी रहता सदा… Read More
कविता : साड़ी
साड़ी सिर्फ़ परिधान नहीं स्त्री गौरव की भी शान है, साड़ी विश्व में भारतीय नारियों का मान सम्मान स्वाभिमान है। साड़ी में नारियों का सौंदर्य निखरता है शक्ल सूरत सामान्य भी तो भी साड़ी में नारी का रुप खिला लगता… Read More
लेख : मानसिकता
पद्मा इन दिनों बहुत परेशान थी। पढ़ाई के साथ साथ साहित्य में अपना अलग मुकाम बनाने का सपना रंग ला रहा था। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर तक उसकी रचनाएं प्रकाशित हो रही थीं। जिसके फलस्वरूप उसे विभिन्न आयोजनों… Read More
कविता : गुरुनानक जी
कार्तिक मास में संवत पन्द्रह सौ छब्बीस को माँ तृप्ता के गर्भ से कालू मेहता के आँगन तलवंडी, पंजाब (पाकिस्तान) में जन्मा एक बालक, मातु पिता ने नाम दिया था उसको नानक। आगे चलकर ये ही नानक सिख धर्म प्रवर्तक… Read More
लघुकथा : रावण का फोन
ट्रिंग.. ट्रिंग… हैलो जी, आप कौन? मैंनें फोन रिसीव करके पूछा मैं रावण बोल रहा हूँ। उधर से आवाज आई…। रावण का नाम सुनकर मैं थोड़ा घबड़ाया, फिर भी हिम्मत जुटाकर पूछ लिया-जी आपको किससे बात करना है? आपसे महोदय।… Read More
कहानी : रिश्ते का सूत्र
पिछले दिनों मेरा सबसे प्यारा दोस्त कनक मुझसे मिलने आया। उसके चेहरे की उदासी देख मैं समझ गया कि कनक कुछ परेशान सा है। मैंने पूछा भी, तो टाल गया। मगर मैं भी कहां छोड़ने वाला। वैसे भी वो मुझसे… Read More
कविता : बस एक ही
बरखा की बूँदों के आगमन के साथ ही जन्मदिन का आना झरते हुए फूलों का डालियों से टूटकर राह में बिछा जाना हवा के खुशबूदार झोंके से भरती है तन में सिहरन नहायी प्रकृति के केश से झरती बूंदों की… Read More
कहानी : अपनापन
पिछले दिनों कवि/साहित्यकार रिशु अपने मित्र लवलेश के घर गया। यूँ तो दोनों का एक दूसरे के घर काफी पहले से आना जाना था। मगर लवलेश की शादी में रिशु अपने एक पूर्व निर्धारित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में जाने की… Read More
कविता : मर्यादा की मूरत राम
माँ कौशल्या की कोख से नृप दशरथ सुत जन्में राम। नवमी तिथि चैत्र मास को अयोध्या का था रनिवास।। निहाल हुए अयोध्यावासी, बजने लगी चहुंओर बधाई। जन जन के अहोभाग्य हो, मानुज तन ले प्रगटे रघुराई।। माता पिता की करते… Read More