सावन का महीना भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना में एक विशेष स्थान रखता है। यह वह समय है जब धरती हरी चादर ओढ़ लेती है, आकाश सावन की फुहारों से सज उठता है और हर ओर हरियाली और शीतलता का… Read More

सावन का महीना भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना में एक विशेष स्थान रखता है। यह वह समय है जब धरती हरी चादर ओढ़ लेती है, आकाश सावन की फुहारों से सज उठता है और हर ओर हरियाली और शीतलता का… Read More
मशहूर शायर जनाब निदा फ़ाज़ली साहब का एक शेर है- “कोशिश भी कर, उम्मीद भी रख, रास्ता भी चुन, फिर इसके बाद थोड़ा मुकद्दर तलाश कर”। मगर विज्ञापनों की दुनिया में तो हर काम तुरत-फुरत होना चाहिये । 1-मसलन अगर… Read More
राजस्थान के अलवर जिले की कठूमर तहसील के पावटा गांव के हरिराम को आदिवासी और दलित साहित्य लेखन में विशेष योगदान और मानवीय मूल्यों को वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ाने के लिए बाबू इंद्रदेव प्रसाद स्मारक शिक्षा एवं सामाजिक… Read More
‘गर्दिशों के गणतंत्र में’ काव्य संग्रह में मानवीय चेतना के विविध प्रसंग- हिंदी साहित्य में काव्य की प्राचीन परंपरा रही है। आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिक काल आदि में साहित्य काव्यात्मक रूप से लिखा गया। रीतिकाल के बाद रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध… Read More
आया है ये वक्त कैसा रक्त नहीं रक्त जैसा। बेटा आज बाप को ही अर्थ समझाता है। चपर-चपर बोले सुनता ना हौले-हौले। जननी के सामने ना सर को झुकाता है। मौके की फ़िराक़ में है सपनों की साख में है।… Read More
“कोई ऐ शाद पूछे या न पूछे, इससे क्या मतलब, खुद अपनी कद्र करनी चाहिये साहब कमालों को”। किसी गुमनाम शायर की इन मशहूर पंक्तियों को हमारे हिंदी-उर्दू के कवियों और शायरों ने अपने दिल पे ले लिया है शायद।… Read More
मेरे जीवन आधार सदा, केशव माधव वृषभानु दुलारी मोपे कृपा करो मेरे कष्ट हरो मेरे नटवर की प्राणन प्यारी जमुनातट हो वंशी वट हो, नैनन आगे मेरो नटखट हो चितचोर चपल चंचल मन में, रख लूँ तुम्हें मेरे रास बिहारी… Read More
शिक्षक संघ, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के तत्त्वावधान में आज आगामी 30 जून 2025 को अवकाश ग्रहण करने जा रहे सांख्यिकी विभाग के प्रो. उपेंद्र कुमार का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के पूर्व… Read More
क्या बाबू भैया के बिना हेरा फेरी मूवी के बारे में कोई सोच सकता है? पूरी फिल्म को बाबू भैया ही बाहुबली बनकर अपने कंधे पर लेकर आगे चलते हैं। जिसमें उनकी दोनों मजबूत भुजाएँ राजू और श्याम हैं। मगर… Read More
(साभार : लल्लनटॉप) +220