Mangarh Dham

कविता : मानगढ़ की शहादत के गुरु

बागड़ प्रदेश के बांसवाड़ा में गोविंद गुरु के सानिध्य में पाई थी तरक्की भीलों ने उनके अथक प्रयास से छोड़ दी थी सारी बेतुकी और बर्बादी की आदतें शराब, जुआं, चोरी और मवेशी खाना गांव-गांव पैदल चलकर करते थे सभा… Read More

Bhagoriya Festival

कविता : लोक पर्व भगोरिया

जंगल में जब टेशू और महुआ खिलते हैं तब सुनाई देती है फाल्गुन की आहट मालवा निमाड़ धरा पर और भगोरिया पर्व की उमंग मिलने को आतुर पिया संग निकले घर से सजकर अपनी पीड़ाओं को तजकर रंग बिरंगी पोशाक… Read More

poem ragistan ka jhahaj

कविता : रेगिस्तान का जहाज

सुबह राबड़ी का कलेवा करके निकले हैं घर से जोरू और मोहरू ऊंट को पैदल लेकर जंगल में । छोंकड़ा के पेड़ों में उल्टे लटक रहे हैं सींगर हरी हरी लूम के साथ ज्यादा ऊंचाई होने से ऊंट के मुंह… Read More

sanskar2023

लेख : बच्चों को भाषा-संस्कारों के साथ बड़ा करना चाहिए

इंदौर (मप्र)। हिंदी बहुत ही वैज्ञानिक भाषा है। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए।भारतीय साहित्य बहुत ही समृद्ध है। इसी समृद्ध परंपरा को हमें अपनी नई पीढ़ी को हस्तांतरित करना चाहिए। यह कुछ पढ़कर और कुछ लिख कर हो… Read More

lonely man street walk

कविता : गली गली में घूमते

गली-गली में घूमते… शराफ़त का मुखौटा लगाए कभी सहायक बनकर कभी खास बनकर। उठाते मजबूरी का फायदा नौकरी, धन और प्रेम का झांसा देकर। नजरों में कच्चा खा जाने की प्यास मन में हवस का अरमान लिए करते हैं रतिभरा… Read More

gular

कविता : गांव से दूर एकांत में

गांव से दूर एकांत में खड़ा है पेड़ गूलर का इसके हरे हरे पात लेकर आते हैं नई नई सौगात इसकी शाखाओं और तने में खरोंच करने से निकलता है खून की धार की तरह सफेद दूध जिसके सुखाने से… Read More

book release ceremony

ग्रंथ लोकार्पण समारोह

सुरेश चंद्र कृत नाटक ‘ मन्दिर से अस्पताल ‘ पर हरिराम द्वारा संपादित पुस्तक ‘मन्दिर से अस्पताल : मूल्यांकन के विविध आयाम’ का लोकार्पण समारोह का आयोजन दिनांक 19 अगस्त 2023 को सिजुआर भवन , मंगला गौरी रोड, नारायण चूआ… Read More

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कविता : श्रम की मूरत

श्रम की मूरत, छली गई है अलग अलग के दौर में जब संकट आया भू, पर मलाई उड़ाई किसी और ने छलिया है चालाक बहुत पल में गुस्सा पल में आँसू हँस- हँसकर बातें करता अंदर बाहर में चेहरा लटका… Read More