गांव से दूर एकांत में
खड़ा है पेड़ गूलर का
इसके हरे हरे पात
लेकर आते हैं
नई नई सौगात
इसकी शाखाओं और तने में
खरोंच करने से निकलता है
खून की धार की तरह
सफेद दूध
जिसके सुखाने से बनता है
चिपचिपा पदार्थ
गूलर का फूल
बना हुआ है रहस्य
आज भी मनुष्य के लिए
पूरे वर्ष आते रहते हैं
छोटे छोटे हरे, पीले और
लाल गोल फल
गुच्छ में तने के साथ।
सैंकड़ों कीट पतंगे
भरे रहते हैं इस पके हुए
सुगंधित जंतुफल में
अपनी जठराग्नि को
शांत करने के लिए
सैकड़ों तरह के पंछी – जीव
लदे रहते हैं द्रुम की डाल डाल पर
पशु भी चख लेते हैं स्वाद
पत्तियों और फलों का।
तने की छाल,पत्तियों और फलों
से बनती हैं
अनेक तरह की गुणकारी
रोग निवारक मानवीय औषधि।
आधुनिकता की अंधी दौड़ में
मनुष्य भूल गया है
अपने आसपास की
मूल्यवान वस्तुओं को और
उन्हें बेच रहा है
थोक के भाव विदेशियों को
औने पौने दामों पर
अनुकरण करके
अपना रहा है वहां की भाषा
समाज और संस्कृति
सभ्य बनने के लिए।