zimadari

डर लग रहा है..!?
हां ..!! लग रहा है ।
डरपोक हो……!?
हां…..हूं ….!!!!!!!!
क्योंकि ……….!!?
बाल बच्चेदार जो हूं ..!!
जिम्मेदारियां हैं ….!!
अभी कई मुझ पर …
आंदोलन नहीं कर सकता…
क्रांति की …..!!

क्रांति की तो ,
सोच भी नहीं सकता ..।
पेट है कई अभी ….!!
आश्रित मुझ पर …
जो आस लगाए बैठे हैं
………
जो कई दिनों से
पेट को बांधे लेटे हैं …!

मेहनत मजदूरी से
कभी आधी…..,
कभी – कभी पूरी से,
कभी सुकून,
कभी मजबूरी से,
जीवन अभी जीना भी तो है
कष्टों को पीना भी तो है
जख्मों को सीना भी तो है
क्योंकि उम्र भर
बहुत………बहुत
पसीना भी तो है ।

क्योंकि….
आम नागरिक ही हूं
सत्ता में सत्ताधीश नहीं ।
किसी बड़ी पहुंच का
भी तो मुझ पर ….
आशीष नहीं ।

बोल भले सकता हूं
पर वो भी …..
सीमित-सीमित ….।
वो भी धीरे-धीरे ….।
वो भी चुपके चुपके….।
जिससे …….,
आवाज ना हो जाए
कहीं …. ।
कहीं भड़क ना जाए
कोई ……।
कहीं कड़क ना जाए
कोई ….. ।
अन्यथा भूचाल आ सकता है
मुझ पर ….।
या मुझ पर आश्रित
पेटों पर …..।

पर आप तो …!!
सक्षम है… … ।
अधिकारों से भरकम है ।
आप क्यों बैठे हैं ..??
सीट पर इत्मीनान से
ऐसे क्यों लेटे है …??

अधिकार…. जो
उसने आपको बहुत
दिए है ……,
पर साथ ही कर्तव्यों का
बोध भी तो दिया है ।
वो आज कहां….
गुम है …..??
हम जैसों की….
हर जगह आज …
आंख क्यों नम है….??

कर्तव्य…..,
जिनके लिए ली थी ,
कभी कसम …..उसकी ही ।

उसी में कुछ …..
हमारा भी तो है ।
पर क्यों वो आज हमारा
नहीं है……??
क्या हमारे कर्तव्यों में
कोई कमी है …??
फिर हमारी आंखों में
ये नमी क्यों है …??
कभी हमारी भी तो सोचो
जो तो …सिर्फ डरते है …..
बहुत-बहुत …..आपसे
और आपके पास
आने से भी…..

हमको तो मतलब है..
केवल अपनी ….
कभी मिल रही ….।
और कभी तो मिल भी नही
रही ……रोजी से ….।
जो मिल भी रही है तो
कभी आधी …
और कभी-कभी पूरी ….
रूखी सूखी रोटी से…।

उस निवाले को भी छीन
ले जाता है कोई…
पूरे दिन पसीना बहवा कर
भी डकार जाता है …
कोई ……
वो ही पसीने की बूंदे
मेरे बच्चों को भी
पीनी है……
रोटी से ना सही तो भी…
जिंदगी ही तो है
वो तो जीनी है ….

अभी तो ना जाने
कितनी …..??
‘ अजस्र ‘ कसौटी से…
लंबी मिल गई तो ठीक,
नहीं तो अर्थ -संकुचित
छोटी से…..!!!!
पर आप तो सक्षम है
अधिकारों से भरकम है

पर आप तो …..
हमारे अपने है ….,
हमारी भावी…..
सफलताओं के सपने है

और आप तो सूत्रधार है
हमारी करम-कहानी के।
और हां ……
आप तो आधार भी है
भीम-संविधान में…
अपनी बात बखानी के…
पर आप तो…..
पर आप तो…..
पर आप तो….

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