Bhagoriya Festival

जंगल में जब
टेशू और महुआ
खिलते हैं तब
सुनाई देती है
फाल्गुन की आहट
मालवा निमाड़ धरा पर और
भगोरिया पर्व की उमंग
मिलने को आतुर पिया संग
निकले घर से सजकर
अपनी पीड़ाओं को तजकर
रंग बिरंगी पोशाक में
जीवन साथी की तलाश में
घूमते मेले में
लगाते गुलाल कुंआरे लड़का लड़की
एक दूसरे को
हां करने की आस में
भगोरिया हाट में
दिन चढ़ने के साथ
चढ़ती मस्ती युवाओं में
गोदना गुदवाते
तरह तरह का गदराई देह में
नख-शिख तक रजत मनोहर
पहनकर खड़ी युवतियां
खड़े हैं भील एकजुट होकर
तीर कमान भालों के साथ
अपनी संस्कृति को बचाने
सुरीली बांसुरी और
घुंघरुओं की खनक
मृदंग-ढोल की गमक
लोक नृत्य गीतों की सुरीली तान
देश विदेश तक फैलाती अपना यशोगान

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *