sajan bin sawan

कविता : साजन बिन सावन

हो पिया जब परदेश में सावन भी सूखा लगता है सजनी का हर श्रृंगार भी पी बिन अधूरा लगता है बारिश की हरेक बूंद भी तब आग ही बन जाती है सावन की सुहानी रातों में जब याद पिया की… Read More

gyan

कविता : पहचान

हृदय में करुणा भर कर सबका सम्मान रूप और यौवन पर मत कर अभिमान परिश्रम से ही होता हर स्वप्न साकार ईर्ष्या और घृणा से मिलता नहीं प्यार ज्ञान से ही संभव है मनुज का उत्थान कर्मों से ही बनती… Read More

swadesh prem

कविता : स्वदेश प्रेम

ना पूछो कितने जुल्म सहे आज़ादी के उन मतवालों ने देश के लिए दे दी प्राणाहुति क्रांति की आग जलाने वालों ने दंभ किया चूर दुश्मनों का हुई ख़त्म गुलामी की रात वीरों का संघर्ष हुआ सफल तब आया स्वतंत्र… Read More

kavita kavi nahi wah abhinata hai

कविता : कवि नहीं वह अभिनेता है

कुछ लोगों को लगता है कि वह एक कवि है क्योंकि वह कविताएँ लिखता है परंतु कविताएँ लिखी नहीं जातीं उनका तो जन्म होता है कविताएँ उन्मुक्त होती हैं किंतु वह उन्हें बाँधकर रखना चाहता है अपनी संकीर्ण मानसिकता की… Read More