22/10/202013/07/2022 मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका हृदय में करुणा भर कर सबका सम्मान रूप और यौवन पर मत कर अभिमान परिश्रम से ही होता हर स्वप्न साकार ईर्ष्या और घृणा से मिलता नहीं प्यार ज्ञान से ही संभव है मनुज का उत्थान कर्मों से ही बनती है एक अलग पहचान +80 About Author मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका स्वतंत्र लेखन, साहित्य एवं सिनेमा में गहरी रुचि। पुण्यानंद पैलेस, फतेहपुर अररिया (बिहार) See author's posts