रावण कहता है
एक बात मेरी सुन लो।
क्यों वर्षो से मुझे यूं
जलाये जा रहे हो।
फिर भी तुम मुझे जला
नहीं पा रहे हो।
हर वर्ष जलाते जलाते
थक जाओगे।
और एक दिन खुद ही
जल जाओगे।।
मैंने सीता को हरा,
हरि के लिए।
राक्षक कुल की
मुक्ति के लिये।
मैंने प्रभु दर्शन कराये
राक्षक जाति को।
तुम तो मानव होकर भी
नहीं कर पाए।।
आज रावण से
राम डरते है।
क्योंकि आज लक्ष्मण ही
सीता को हरते है।
आज घर घर में
छुपे हुए है रावण।
आग कितने रावणो को
तुम लगाओगे।।
सीता को हरना तो
एक बहाना था।
मुझको राम हाथों से
मुक्ति पाना था।
मैं तो मरकर भी
राम को पा गया।
तुम तो जीकर भी
राम को न पा रहे हो।।