chamcha

“बने है शाह का चमचा, फिरे है इतराता
वरना आगरे में ग़ालिब की हस्ती क्या है”

मशहूर शायर मिर्जा गालिब ने जब ये फरमाया था तब बादशाह की उनपे नूरे नजर थी, लेकिन वक्त ने ऐसी करवट बदली कि मिर्जा गालिब फकीर हो गए। उन्होंने अंग्रेज़ राजा को अर्जी लगाई कि शाही खजाने से उनको नियामतें अता फ़रमाई जाएं तो वो बादशाह के वफादार रहेंगे, लेकिन अंग्रेजों ने उनकी अर्ज़ी को मुस्तरद कर दिया कि राजकाज चलाने के लिये कायदे की और डंडे के जोर की जरूरत होती है ।लेकिन शाह बनने का चस्का जब लग जाता है तो फिर उसे मेंटेंन करने के लिये पीआर एजेंसीज की जरूरत पड़ती है ।पीआर एजेंसी बताती है कि कौन सा सेलेब्रिटी कितना बोलेगा ,कितना ट्वीट करेगा ,कब करेगा और किसके शासन को सर्वकालिक श्रेष्ठ शासन घोषित करेगा ।कितने पैसे लेकर किसी भी विचारधारा के धरना स्थल पर किसे” गेस्ट अपीरेन्स”करनी है । कब डिप्रेसन -डिप्रेसन खेलना है ।

अब देखिये ना छब्बन प्रसाद उपाध्याय जी मुम्बई में जाकर सीपीयू हो गये। गांव में जब लड़के लड़के भैंस चराने जाते थे और दूर तक निकल जाते थे तब छब्बन इधर उधर ताड़ने के बाद अमरूद के पत्तों को अपने दादा जी की चिलम में डालकर अमरूती पिया करते थे ।दादा जी की चिलम साफ करते वो अपने दादा के नशीले पद्रार्थों का भी सेवन करके उन्हें पहले साफ, फिर हाफ करने लगे।
जब तक घर वालों को छब्बन के इन गुणों का पता चलता तब तक वे बहुत आगे निकल चुके थे।चिलम और भैंस का दूध दुहने की महारत वाला छब्बन मुम्बई पहुंच गए ।अब वो तबेले और देसी नशीले पदार्थों को छोड़कर वीड जैसे कुछ शब्द बोलता है और मस्त रहने को स्ट्रेस बस्टर बोलता है पहले लोग उसे दूधवाला कहकर बुलाते थे ,अब वो खुद को इम्युनिटी बूस्टर सेलर बताता है ।
सीपीयू को जब लगा कि उनका व्यापार अवैध है तो उन्होंने कुछ कानूनी राय -मशविरा किया ,मोटी फीस देकर उनको ये सलाह मिली कि किसी पत्रकारिता या लिटरेचर की लाइन में घुस जाओ तो थाना पुलिस का प्रकोप शायद कुछ कम हो।ये बात उनको जँच गयी है ,अब वो खुद को काफी सेफ महसूस करते हैं ,मीडिया में निवेश करने के बाद। वैसे भी इस देश में मीडिया ट्रायल बड़े जोर शोर से होता रहता है जबकि अदालतें कहती रहती हैं कि न्याय करने का काम हमारा है ।

लेकिन दुनिया भर में जिसका जो काम नहीं है वही वो काम करता रहता है जैसे चीन में एक धर्म विशेष के लोगों को अपनी धार्मिक कार्यों को करने की अनुमति नहीं है ,और पाकिस्तान में कम्युनिज़्म पर पाबंदी है, और ये दोनों मुल्क भारत को सेक्युलरिज्म न सिर्फ सिखाते हैं , बल्कि उसका उपदेश भी देते हैं,भारत के व्यंग्यकारों को चाहिये कि वे यूनाइटेड नेशन्स को एक पत्र लिखें और इस उलटबांसी को
“जोक ऑफ द डिकेड”
घोषित करवाएं ।
जिस तरह प्रेमचंद साहब कह गए थे कि कोई गम ना हो तो बकरी पाल लो वैसे ही एक मशहूर व्यंगकार का कथन है कि अगर कहीं आपको हँसी ना सूझ रही हो तो वैश्विक आर्थिक रिपोर्ट पढ़नी चाहिये।इसमें बहुत कुछ दिलचस्प होता है जैसे कि इस वक्त बांग्लादेश की इकोनॉमी को लेकर बयान आ रहे हैं । भले ही श्रीलंका अपने झंडे पर शेर का निशान लिये घूम रहा है मगर साउथ एशियाई देशों बंगलादेश की इकोनॉमी को टाइगर बताया जा रहा है ।भारत के राष्ट्रवादियों को इस खबर से बहुत सुकून मिल रहा है कि अब जबकि कुछ आर्थिक रिपोर्ट्स के आधार पर भारत ,बांग्लादेश से पीछे हो गया है ,वहां पर खुशहाली ही खुशहाली हो गयी है तो अब तीन -चार करोड़ अवैध बांग्लादेशी अपने मुल्क लौट जाएंगे ।वैसे बुद्धिजीवी वर्ग का एक धड़ा चिंतित भी है कि अगर सारे अवैध बंगलादेशी चुपचाप बिना किसी धींगामुश्ती के अपने घर लौट जाएंगे तो उनके हाथ से एक बहुत बड़ा मुद्दा निकल जायेगा-
“अब आगे इसमें तुम्हारा भी नाम आएगा
जो हुक्म हो तो यहीं छोड़ दूं फ़साने को”।

हाल ही में दुनिया भर में माफी लेने -देने के लिये मशहूर रही “एम्नेस्टी इंटरनेशनल “को अचानक खुद माफी की दरकार हो गयी। ब्रिटेन से निकली ये संस्था दुनिया भर के मानवाधिकारों पर सवाल उठाती रहती थी सिवाय ब्रिटेन के अंदर मानवाधिकार हनन के ।चिराग तले अंधेरा वाली कहावत थी, आखिर कब तक देशों के इज्जत इनकी रैंकिंग से आंकी जाती ,सो जब इनकी भी हद हो गयी तो इन्हें एमनेस्टी की खुद दरकार हो गयी और अंततः भारत से इन्हें जाना ही पड़ा।नाम माफी वाला ,और हो गए दण्डित। वैसे 2016 में रूस भी इनको देश से दफा कर चुका है। दोस्त ,दोस्त के नक्शेकदम पर चला ,सो पहले रूस ने ,फिर भारत ने एम्नेस्टी को एमनेस्टी नहीं दी । हैरानी की बात ये है कि कानून के राज की दुहाई देने वाले एम्नेस्टी पर सरकार ने लगातार भारतीय कानूनों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया है –
“तुलसी कबहुँ न त्यागिये
अपने कुल की रीति
लायक ही सों कीजिये
ब्याह, बैर और प्रीति”।
राम के देश में आये थे तो काश इन लोगों ने तुलसीदास को पढ़ लिया होता।
ऐसे ही एक और दिलजोई की रिपोर्ट आयी है “हैप्पीनेस इंडेक्स” इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में लोग अपने जीवन से खुश नहीं हैं और इसमें पाकिस्तान को खुशहाली में बहुत ऊपर रैंकिंग दी है ,यानी पाकिस्तान में लोग भारत से ज्यादा खुश हैं और पाकिस्तान वर्ल्ड पावर बनने की ओर अग्रसर है ।सही बात है ,बगैर बिजली,बगैर शक्कर,बगैर आटा, बगैर पीने का साफ पानी,बगैर इलाज,बगैर सेक्युरिटी वर्ल्ड पावर बनने का एजाज सिर्फ पाकिस्तान के बाशिंदों को ही नसीब है । वाकई पाकिस्तान सुपर पावर है जो बहुत आगे की सोचता है क्योंकि जब पाकिस्तान में कोरोना फैला तो पाकिस्तान ने इलाज करने जैसे तात्कालिक मुद्दों में उलझने के बजाय कब्रें खोदने जैसे दूरगामी निर्णय लिये।तेज गेंदबाज रहे इमरान खान ने तेजी से निर्णय लिया कि हम कोरोना से लड़ नहीं सकते तो हम अपना वक्त और एनर्जी क्यों बर्बाद करें और वैसे एक अच्छे नेता के तौर पर वो अपने मुल्क के लोगों को खुशहाल ज़िंदगी तो दे ना सके तो तसल्लीबख्श मौत का सफर ही आसान कर दें सो हुकूमत के खर्चे पर उन्होंने बेइंतहा कब्रें खुदवाईं ,सही बात है कहाँ मिलेंगे ऐसे दूरअंदेश नेता।

भारत में तो ओबामा जब संसद में आकर कह जाते हैं कि इंडिया सुपर पावर बनने की ओर चल नहीं रहा है, बल्कि सुपर पावर बन चुका है ,तब भी इसी देश के कुछ लोग भारत को अब भी सुपर पावर मानने को तैयार नहीं हैं।सुई तक न बनाने वाला आज दुनिया की “फार्मा कैपिटल बन चुका है “लेकिन अल्प बुद्धि वाले बयानवीरों से इस देश को न जाने कब निजात मिलेगी”?

जैसे राजधानी में एक बयान आया है कि “चीनी सेना बारह सौ किलोमीटर अंदर कब्जा कर चुकी है ।मैं दिल्ली में था ,उत्तर भारत में चीन की सीमाओं से दिल्ली की दूरी का अंदाज़ा लगाया तो थोड़ी हैरानी हुई ।इस हिसाब से तो अब दिल्ली चीन का ही हिस्सा है ।चीन के दावे की तस्दीक करने के लिये एक प्लेट चाइनीज का आर्डर दिया मैंने।उसने मुझे कहा “जय राम जी की”तिरंगे को काउंटर पर प्रणाम करके वो चायनीज बनाने लगा और साथ में गाने भी लगा –
“भारत हमको जान से भी प्यारा है “।
मैं सोच रहा था कि चीन वाले भारत में प्लास्टिक के चावल तो बेचते ही हैं ,क्या वो नकली बेबी मिल्क पाउडर भी बेचने लगे हैं या बहुत पहले से भी बेचते रहे हैं ?

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