stree sangharsh

‘स्त्री संघर्ष का सिलसिला : उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ’

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आज उदय प्रताप कॉलेज के हिंदी विभाग एवं समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘स्त्री संघर्ष का सिलसिला : उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ’ विषय पर विज्ञान भवन के कक्ष संख्या 15 में एक संगोष्ठी… Read More

gumshuda hansi

कविता : गुमशुदा हँसी

चेतना पारीक के कलकत्ते में किसी तलाश में आया हूँ मैं, काफी सुना था कि ये आनन्द और प्रेम की नगरिया है, उसी मृग-मरीचिका की तलाश का पर्याय है चेतना पारीक, चेतना पारीक जब होती भी तब भी वह गुमशुदा… Read More

sant sahitya

शोध लेख : समकालीन जीवन में संत साहित्य की प्रासंगिकता

प्रस्तावना : निर्गुण भक्तिधारा के कवियों को ‘संत’ शब्द से संबोधित किया गया है। अपने हित के साथ जो लोक कल्याण की भी चिंतन करता है, वही संत कहलाने का अधिकारी है। इन संतों द्वारा बताये गये विचार तत्कालीन समाज… Read More

bheetar ki ghanti

व्यंग्य : भीतर की घंटी

बात उन तरुणाई के दिनों की है, जब मैंने शादी के लिए विज्ञापन निकलवाया था क्योंकि उन दिनों मैं “वर” हुआ करता था। मुझे बचत करने वाली कन्या चाहिए थी। मुझे सफलता मिली। एक कन्या का शीघ्र और गजब का… Read More

tum srijan ho

कविता : तुम सृजन हो

तुम सृजन हो कवि के अंतर्मन का शब्दों की दीपशिखा और छंदों के तार पे कसी अलंकार से विभूषित तुम सृजन हो कवि के अन्तरमन का तुझमें बहती हैं भावनाएं नित कलकल नदी सी निरन्तर तुम हो वसंत ऋतु की… Read More

kheti

गीत : खेत

खेत का गीत पुरखों की आत्मा है कभी न छोड़ें खेती करना सिखाया पुरखों ने जीने के लिए कभी न भूलो ओ रे आदिवासियों यह संस्कृति याद रखना अपनी प्रतिष्ठा को स्वार्थी न बनों दिशा-दिशा से आओ आदिवासियों गीत न… Read More

gaay aur bagula

कविता : गाय और बगुला

नुकीले चोंच एक पैर पर खड़ा बगुला गाय की पीठ पर सूर्य काले बादलों से निकलने का प्रयत्न कर रहा है उसकी किरणें असफल हैं फैलने में बगुला बार-बार बादलों की ओर देखता जैसे उसे सूर्य की है प्रतीक्षा गाय… Read More

लेख : अनुपमेय कृति है लाला श्री हरदोल

वीरवर हरदोल बुन्देलखण्ड के लोकदेव के रूप में पूजित ऐतिहासिक पात्र हैं। उनका जीवन वीरता, त्याग और बलिदान की अद्भुत गाथा है। अपनी भाभी की सच्चरित्रता का परिचय देने हेतु उन्हीं के हाथों से हँसते हुए विषपान कर लेने का… Read More

sahitya lekhan

युगसापेक्ष और मनोगत दृष्टि को आत्मसात कर भविष्यदृष्टि रचते हैं बच्चन सिंह

हिन्दी और अन्य भारतीय भाषा विभाग की `हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन एवं दृष्टिबोध, सन्दर्भ बच्चन सिंह का इतिहास लेखन शीर्षक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विख्यात चिन्तक दीपक मल्लिक ने कहा बच्चन सिंह के… Read More

साहित्येतिहास के व्यापक दृष्टिबोध के सर्जक हैं आलोचक बच्चन सिंह

साहित्य न केवल मनुष्यता के जय-पराजय की विश्वसनीय छवि प्रकट करता है, वह भविष्य के निर्माण हेतु सपने देखता है और उस सपने के पक्ष में अपनी मुखर आवाज़ भी प्रकट करता है। बच्चन सिंह जैसे साहित्येतिहास लेखक अपने व्यापक… Read More