पूजत चरण माँ शारदे पंचम तिथि है बसन्त सर्वज्ञान विस्तारित हो जितना गगन अनन्त। प्रकटोत्सव पर हर्षित सारे देवी देव भगवान नतमस्तक हो स्तुति करें ओढ़ पीत परिधान। ओढ़ पीत परिधान भोग में बेसन का हलवा धन यश विद्या और… Read More

पूजत चरण माँ शारदे पंचम तिथि है बसन्त सर्वज्ञान विस्तारित हो जितना गगन अनन्त। प्रकटोत्सव पर हर्षित सारे देवी देव भगवान नतमस्तक हो स्तुति करें ओढ़ पीत परिधान। ओढ़ पीत परिधान भोग में बेसन का हलवा धन यश विद्या और… Read More
संघर्षों से घबरा कर यदि, सब मृत्यु गले लगाते। डर के आगे जीत लिखे जो, न विजेता वो मिल पाते॥ मरना सबको इक दिन लेकिन, न मौत से पहले मरना॥ गिर गिर कर फिर उठ उठ कर ही, जीवन पथ… Read More
मोहब्बत के सफर पर चलने वाले रही सुनो मोहब्बत तो हमेशा जज्बातों से की जाती है महज़ शादी किसी मोहब्बत का साहिल नहीं मंज़िल तो दूर बहुत इससे भी दूर जाती है। जिन निगाहों में मुकाम-ए-इश्क़ शादी है उन निगाहों… Read More
“मैं” से उठकर मैंने जब देखा जो ज़रा ध्यान से आत्मा थी दिग्भ्रमित, मन था भरा अज्ञान से। चक्षुओं की परिधि भी सीमित रही स्वकुटुंब तक संकुचित समस्त भावनाएँ, थी पहुँच प्रतिबिम्ब तक ओज़ वाणी में था इतना, स्वयं सुन… Read More
रविवार को नागरी प्रचारिणी सभा, देवरिया के गांधी सभागार में दिनांक 11 फरवरी 2024 को परम्परा और आधुनिकता के सेतु महाकवि महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती के उपलक्ष्य में प्रथम सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन सभाध्यक्ष आचार्य परमेश्वर… Read More
माता विमला दो मुझे, बुद्धि विनय बल ज्ञान। अमर कलम मेरी रहे, दो मुझको वरदान।। सरस्वती माँ से करूँ, इतनी सी फरियाद। मेरे गीतों से करें, लोग मुझे बस याद।। ज्ञानदा माँ दे मेरे, शब्दों में वो धार। सच को… Read More
ये जिस्म, ये लिबास, यहीं छोड़ जाऊंगा जो कुछ है मेरे पास, यहीं छोड़ जाऊंगा जब जाऊंगा तो कोई न जायेगा मेरे साथ सब लोगों को उदास, यहीं छोड़ जाऊंगा भर-भर के जाम जिस में पिए उम्र भर वही ख़ुशियों… Read More
काश! हम सब जन्मजात अंधे होते हमारी आँखों में कतई रौशनी न होती चेहरे पर लगा एक काला चश्मा होता और हाथ में लकड़ी की एक छड़ी होती तब इस विश्व का स्वरुप ही दूसरा होता प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व… Read More
श्रद्धेय गुरुवर व हिंदी के अनथक योद्धा धनंजय जी को अंतिम प्रणाम!!! श्रद्धेय गुरुवर प्रोफेसर धनंजय वर्मा की चिर विदाई ने साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। उनका जाना, एक युग का समाप्त हो जाना है।उनकी जिंदादिली मशहूर थी।… Read More
मिली मुश्किलों से आज़ादी, मगर न इस की कद्र हमें। पड़ आदत आराम की गई, नहीं देश की फिक्र हमें॥ देश की चिंता न हम करते, हम भूलें ज़िम्मेदारी। भोर करेगा कौन यहाँ अब, निंद्रा सबको है प्यारी॥ मरने मिटने… Read More