खेत का गीत पुरखों की आत्मा है कभी न छोड़ें खेती करना सिखाया पुरखों ने जीने के लिए कभी न भूलो ओ रे आदिवासियों यह संस्कृति याद रखना अपनी प्रतिष्ठा को स्वार्थी न बनों दिशा-दिशा से आओ आदिवासियों गीत न… Read More

नुकीले चोंच एक पैर पर खड़ा बगुला गाय की पीठ पर सूर्य काले बादलों से निकलने का प्रयत्न कर रहा है उसकी किरणें असफल हैं फैलने में बगुला बार-बार बादलों की ओर देखता जैसे उसे सूर्य की है प्रतीक्षा गाय… Read More
वीरवर हरदोल बुन्देलखण्ड के लोकदेव के रूप में पूजित ऐतिहासिक पात्र हैं। उनका जीवन वीरता, त्याग और बलिदान की अद्भुत गाथा है। अपनी भाभी की सच्चरित्रता का परिचय देने हेतु उन्हीं के हाथों से हँसते हुए विषपान कर लेने का… Read More
हिन्दी और अन्य भारतीय भाषा विभाग की `हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन एवं दृष्टिबोध, सन्दर्भ बच्चन सिंह का इतिहास लेखन शीर्षक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विख्यात चिन्तक दीपक मल्लिक ने कहा बच्चन सिंह के… Read More
साहित्य न केवल मनुष्यता के जय-पराजय की विश्वसनीय छवि प्रकट करता है, वह भविष्य के निर्माण हेतु सपने देखता है और उस सपने के पक्ष में अपनी मुखर आवाज़ भी प्रकट करता है। बच्चन सिंह जैसे साहित्येतिहास लेखक अपने व्यापक… Read More
हम सभी को बतौर छात्र अङ्ग्रेज़ी के साथ एक विषय के रूप में बिताए गए दिन अभी भी याद होंगे। जब अङ्ग्रेज़ी बतौर विदेशी भाषा हम सभी को थोपी एवं कठिन भाषा लगती थी। यह भी विचारणीय है कि वर्षों… Read More
मैं कर लूंगा किनारा तुझ से कुछ इस तरह की दोबारा राब्ता ना हो सकेगा समेट लूंगा मैं खुद को इस तरह खुलकर दोबारा तेरा ना हो सकूंगा चला जाऊंगा मैं इतना दूर मुद्दत्तो बाद भी तुझसे मिल ना सकूंगा… Read More
शिवाजी महाराज याने? सिर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज नहीं, बल्कि शिवाजी महाराज याने, अभिव्यक्ति की आज़ादी, किसानों का आंदोलन कामगारों का आंदोलन उत्तम प्रशासक जाती अंत स्त्री सम्मान शिवाजी महाराज याने? सिर्फ़ भगवा पताका और सियासी रंग नहीं, शिवाजी महाराज याने,… Read More
“आइए महसूस कीजिये पब्लिसिटी के ताप को, मैं फिल्मवालों की गली में ले चलूंगा आपको” तो ख़्वातीनो हजरात मायानगरी की इस चमक-दमक से भरी दुनिया की सैर में आपका खैर मकदम है। इस रुपहली और मायावी दुनिया का एक बेफिक्र… Read More
प्रणय दिवस बसंतोत्सव, मदनोत्सव और वैलेंटाइन डे पर विशेष वैलेंटाइन डे वैसे तो पाश्चात्य परिकल्पना है और विगत दो दशकों में इसका विस्तार हुआ है किन्तु यदि हम ध्यानपूर्वक देखें तो पाएंगे कि यह भारतीय संस्कृति में भी चिरकाल से… Read More