एक 5 सितंबर 1988 को जन्मे राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और एक विद्वान शिक्षक भी थे,साथ ही वह एक बड़े राजनेता थे। उनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। वे एक विद्वान हस्ती थे इसका… Read More

एक 5 सितंबर 1988 को जन्मे राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और एक विद्वान शिक्षक भी थे,साथ ही वह एक बड़े राजनेता थे। उनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। वे एक विद्वान हस्ती थे इसका… Read More
‘महुआ’ शब्द में ही मिठास है।इस विषय पर सोचने और लिखने से आँखों में खुदबखुद चमक आ जाती है।यह शब्द हमारे इतिहास,संस्कृति और हमारी परंपराओं से जुड़ा हुआ है।वैदिक काल से लेकर अभी तक महुआ के फूल,फल और पेड़ की… Read More
कभी कभी इंसान कुछ इस तरह के काम कर जाता है जो जीवन के लिए यादगार बन जाता है और ता उम्र उसे भूल नहीं पता है। दोस्तो वैसे तो विश्वास आज के जमाने मे लोग किसी पर भी नहीं… Read More
श्वेत चंद्रमा रजत रश्मियां, रूप यौवन से अपनी छटा बिखेर रहा।। ओस की बूंदें बरस रही रूप यौवन से लदे, खिल रहे खेत सारे।। सुंदर रूप हुआ धरा का फूलो की खुशबू से महका आंचल वसुंधरा का।। सतरंगी पुष्प –… Read More
सब से पहले तो में अपने देशवासियों को दीपावली की बधाई देता हूँ। इस बार की दीपावली आप सभी को नई रोशनी लेकर आये और आपका जीवन खुशियों से भर जाए साथ ही एक निवेदन भी करना चाहूँगा की आप… Read More
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में यह निर्णय लिया गया कि हिंदी भाषा भी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। हिंदी यद्यपि भारत के कई क्षेत्रों में बोली जाती थी, इसी के फलस्वरूप सन 1953 से पूरे भारत में… Read More
बात कुछ साल पुरानी है। गुजरात के आगे के स्टेशन से एक स्त्री दो बच्चो को गोद में लिए चढ़ी । कम उम्र की जान पढ़ रही थी। जिस बोगी में थे हम वह भी उसी बोगी में बैठी। उसके… Read More
रिश्तों की तुरपाई को जरा सहज कर रखना। सम्बन्धों की सिलाई अच्छे से की जानी चाहिए, नहीं तो क्या पता किस वक़्त पर यह उधड़ जाए और रिश्तों में दरार पड़ जाए।* *वक़्त का गम नहीं यह क्या करवाएगा ,… Read More
आओ मिलकर हम सब सुंदर भारत का निर्माण करें…. किसी बच्चे का दामन न छूटे अपने बचपन से रोंदे न कोई उसके सपनों को बाल श्रम के घन से कोई छीने न इनसे इनका भोलापन फिर न कोई छोटू मज़बूर… Read More
खामोशी हृदय की एक अवस्था और परिस्थिति की एक मांग भी होती है। कभी कभी खामोशी वो भी कह देती जो शोर नहीं कह पाता। खामोशियों की भी अपनी जबान होती है जो हर किसी को समझ नहीं आती। कभी… Read More