family boand

रिश्तों की तुरपाई को जरा सहज कर रखना। सम्बन्धों की सिलाई अच्छे से की जानी चाहिए, नहीं तो क्या पता किस वक़्त पर यह उधड़ जाए और रिश्तों में दरार पड़ जाए।*
*वक़्त का गम नहीं यह क्या करवाएगा , गम बस यह है , यह दिल को बहोत दिखाएगा, जो माटी की सुगन्ध आज दिलो को आनंद दे रही हैं, कल ऐसा न हो कि यही सुगंध हमारे दिल को कचोटने लगे।*
*रिश्तों को ऐसा होना चल जाएगा जिसमें थोड़ी दूरियां हो पर यह दूरियां कड़वाहट की वजह से हो यह नहीं। न जाने क्यों यह कचोटता है।”*

अपने आसपास हम बहुत सी घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी बनते है , जो हमारे जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल कर रख देती है। हम सभी अपनी इस जीवन यात्रा में सामाजिक दायित्वों के निर्वहन हेतु कभी न कभी पीछे हट जाते है ।हम सोचते है, हमे इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिए या हम जानते है , हमे क्या करना चाहिए पर कौन क्या कहेगा क्या नहीं यही सोच कर हम पीछे हट जाते है।
आज आप मेरे विचारो से सहमत न हो पर फिर भी में अपने विचार रखना चाहती हूं।
मन में न जाने क्यों रिश्तों के लिए हम इतने सहज हो जाते है और उन्हें बचाने या पाने में पूरा समर्पण कर देते है। इसलिए नहीं कि हम गलत होते है या……।
बस इसलिए की हमे रिश्तों को बचाना होता है। आज यह बात विचारणीय और बहोत जरूरी है।हमारा युवा किस और किस तरह से सोचता है। यह उनका सोचना गलत नहीं है और न ही प्यार करना गलत है पर आज न जाने क्यों प्यार की धुन सवार हो जाती हैं । क्या यह प्यार होता है? जो हमें आए दिन अखबारों में , आसपड़ोस में यह देखते हैं ,कि किसी ने किसी के लिए जान दे दी, या प्रेम में युवक ने युवती के साथ……..।
कभी हम न्यूज देखते हैं छात्र ने छात्रा के गले में चाकू मारने के बाद दूसरी मंजिल से कूद गया । मामला प्रेम प्रसंग का रहता तो क्या यह प्रेम है?
विचारणीय बात है, शायद इस मुददे पर कोई बात नहीं करना चाहता है। या कोई इस टॉपिक्स पर बात करे तो उसे गलत समझा जाए या शर्म से इस टॉपिक्स पर बात करना सही नहीं समझे पर यह सोचने की बात है।

“हमारा युवा आज दिन प्रतिदिन आक्रमक होता जा रहा है। पर उसे यह नहीं पता कि उसकी आक्रमकता के गुण को या स्ट्रॉन्ग एनर्जी को कहा लगाना चाहिए। वह उसे अपने लक्ष्य में लगाए सही जगह उपयोग करे।
आज हमे हमारे युवा को समझने और समझाने दोनों की जरूरत है।
यह एक घर की कहानी नहीं है। यह समाज के लिए भी विचाणीय बात है। यह प्रेम नहीं होता है। किसी चीज को पाने की जिद करना चाहे वह सही हो या गलत।
हम देखते हैं कि लड़की को पाने की जिद में उसके साथ गलत कर देते हैं , या एसिड फेक कर उसका फेस बिगाड़ कर उसकी लाइफ खराब कर देते है।
इसे आप प्रेम कहा से कहोगे? आज आप सभी के जहन में यह बात जरूर उठ रही होगी कि यह यंग लड़की इस तरह की बातें क्यों कह रही है, शायद यह भी मन में आ जाए कि जरूर इसके साथ ऐसा कुछ हुआ होगा। तब ही यह इस प्रकार के विचार रख रही है। पर लिखना मेरा शोक है।

” जो इंसान अपने शोक को मार देता है, वह उसी दिन मर जाता है है। ” हमे अपने शोक को जिंदा रखना चाहिए।

हर युवा को अपने विचारो को रखना चाहिए । आज यह टॉपिक्स बहुत ही विचारणीय है कि हमें अपनी पोटेंशियल एनर्जी को कहा लगाना चाहिए और हमारी फ़ैमिली के साथ हमारी किस तरह की बॉन्डिंग होनी चाहिए। यह हमारे साथ हमारी फ़ैमिली पर भी डिपेंड करता है। हाल ही में कुछ दिनों पहले पेपर में आया था जब स्टूडेंट्स से उनकी समस्याएं पूछी स्टडी को लेकर तो ऐसे प्रश्न पूछे गए स्टूडेंट की और से जो हमे चोकते है।

एक लड़का जो एग्जाम की वजह से क्लासेज बन्द होने की वजह से वह क्लास की एक लड़की को देख नहीं पा रहा था और इस वजह से उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था , क्योंकि उसे उस लड़की को देखना अच्छा लगता था।
एक प्रश्न था एक लड़का कही ओर रहने चला गया तो वह लड़का कही उस लड़की को भूल न जाए।
आज विचार करने की बात है। 10th, 12 th के बच्चे जिनका मन पढ़ाई से हट कर इस ओर जा रहा है, तो उन्हें समझाने की जरूरत है। यह गलत नहीं है हार्मोन बदलाव की वजह से विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण का होना सहज है। हम उन्हें यह कहकर डाट नहीं सकते कि हम तुम्हारी उम्र में थे , हमको तो इतना समझता नहीं था और आज इन्हे देखो। जिस प्रकार से बदलाव आ रहे है तो वक़्त के साथ उनमें भी बदलाव सहज है।

हम इन बातो को नकार नहीं सकते है पर आज जरूरत है, तो उन्हें समझाने की। सही समय पर सही बात। इसके लिए पैरेंट्स को भी समय – समय पर उनके साथ फ्रेंडली बन कर बात करने की जरूरत है। उन्हें कब ओर क्या करना चाहिए यह समझाने की। क्योंकि *”युवा हमारे देश का भविष्य है हमे उन्हें जिस प्रकार सिंचित करेगे , वह उसी रूप में फलीभूत होंगे।”*

जिस प्रकार नए कपड़े को जब लिया जाता है, तो उसकी सिलाई कच्ची या कमजोर होती हैं। वह उधड़ जाती हैं। उस पर एक पक्की सिलाई दी जाती हैं।
उसी प्रकार युवा भी उस कच्चे धागे की सिलाई की तरह होते हैं। जिन पर प्यार भरे रिश्तों ओर समझ की पक्की सिलाई की आवश्यकता है। इस बार वैलेंटाइन्स डे तब ही मनाना जब अपने विचार रख सको । अपने बच्चो को प्यार की तुरपाई से सहेज सको। महज लड़का , लड़की को गुलाब देना ही प्यार नहीं होता है। अपने विचारो से अपने बच्चो अपने समाज में संदेश देना भी वैलेंटाइन्स डे माना जाएगा।

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