करते जो खुद पर विश्वास रचते वे ही नया इतिहास… बिना फल की इच्छा करे कर्मों पर हो अटल विश्वास धरती ही नहीं अंबर छू लेने का जिनके मन में बुलंद अहसास रचते वे ही नया इतिहास… छोड़ उम्मीद दूसरों… Read More
मूवी रिव्यू : आम फ़िल्म नहीं है कसाई
जब आप यह नाम सुनते है तो दिमाग में एक चित्र उभरता है कि एक व्यक्ति के हाथ में एक धारदार हथियार है जो जानवरों को काटने का काम भी आता है लेकिन यहाँ जानवरों को मारने वाले कसाई को… Read More
पुस्तक लोकार्पण: मैं ऐसा वैसा नहीं हूँ
हंसराज कॉलेज एवं कैम्पस कॉर्नर द्वारा 21 अक्तूबर 2020 को सायं 6.00 बजे नयी किताब प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित मेरे मुक्तक संग्रह ‘मैं ऐसा वैसा नहीं हूँ…’ का लोकार्पण एवं उस पर चर्चा आयोजित की जा रही है। जिसमें हिंदी… Read More
ग़ज़ल : एक शोर, जी उठा है फिर से
जिगर में एक शोर, जी उठा है फिर से वो गुज़रा, किरदार, जी उठा है फिर से बड़े ही जतन से बाँध कर रखा था इसे, यारों दिल फ़ितरती, जी उठा है फिर से ला पटका है वक़्त ने उसी… Read More
कविता : बापू तेरे बंदर
बापू तेरे तीन बंदरो का, अब से अनुसरण कर रहा हूँ। और आज तेरे जन्मदिवस पर, श्रद्धा सुमन अर्पण कर रहा हूँ। आज़ादी तो मिल गई भारत माँ को। पर अबतक समझ नहीं पाया, की क्या मिला इससे हमको।। तेरे… Read More
कविता : हिंदी ही आधार है
जब सीखा था बोलना, और बोला था माँ। जो लिखा जाता है, हिंदी में ही सदा।। गुरु ईश्वर की प्रार्थना, और भक्ति के गीत। सबके सब गाये जाते, हिंदी में ही सदा। इसलिए तो हिंदी, बन गई राष्ट्र भाषा।। प्रेम… Read More
कविता : शिक्षकों का योगदान
हूँ जो कुछ भी आज मैं, श्रेय मैं देता हूँ उन शिक्षकों को। जिन्होंने हमें पढ़ाया लिखाया, और यहाँ तक पहुँचाया। भूल सकता नहीं जीवन भर, मैं उनके योगदानों को। इसलिए सदा मैं उनकी, चरण वंदना करता हूँ।। माता पिता… Read More
शिक्षक हैं कुछ अहसास हमें भी हो
भारत में गुरुओं की प्रथा आदि काल से चली आ रही है और शिक्षकों का का अपना एक अलग ही महत्व है। अपने गुरुओं का सम्मान सदियों से चला आ रहा है फिर चाहे द्रोणाचार्य हो या फिर ऋषि वशिष्ठ… Read More
कविता : तीन लोग
तीन लोग संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे और नारे लगा रहे थे एक कह रहा था हमें मंदिर चाहिए दूसरा कह रहा था हमें मस्जिद चाहिए और तीसरा कह रहा था हमें रोटी चाहिए कुछ वर्षों के बाद… Read More
शोध लेख : समकालीन मनुष्य और उसकी सभ्यता का अंदरूनी बाघ
केदारनाथ सिंह हिंदी कविता की मुख्यधारा के महत्त्वपूर्ण कवियों में से एक थे। ‘बाघ’ उनके द्वारा रचित एक लम्बी कविता-श्रृंखला है, जिसमें छोटे-बड़े 21 खंड है। ‘बाघ’ कविता दो काल खंडों में लिखी गयी है, इसके पहले रचना-खंड में 16… Read More