बापू तेरे तीन बंदरो का,
अब से अनुसरण कर रहा हूँ।
और आज तेरे जन्मदिवस पर,
श्रद्धा सुमन अर्पण कर रहा हूँ।
आज़ादी तो मिल गई भारत माँ को।
पर अबतक समझ नहीं पाया,
की क्या मिला इससे हमको।।
तेरे बंदर भी है कमाल के,
जो संकेत देते है हर बात के।
एक कहता है देखो सुनो,
पर बोलो मत।
वरना बोलती हमेशा,
के लिए बंद हो जाएगी।
दूसरा कहता है न देखे न सुनो,
और कुछ भी बोल दो।
सारे इस पर उलझ जाएंगे,
और फिर दिनरात पकाएंगे।
तीसरा कहता देखो बोलो,
और किसी की मत सुनो।
नेता अभिनेता बन जाओगे।
और अंधे गूंगे और बहरों
की तरह बनकर,
सफल नेता कहलाओगे।
और देश की जनता को
5वर्षों तक उल्लू बनाओगे।
न खुद शांति से बैठोगे
न जनता को बैठने दोगे।
कुछ बोलकर कुछ सुनाकर
और कुछ दिखाकर,
अपास में इन्हें लड़वाओगे।
और देश में अमन शांति
स्थापित नहीं होने देंगे।
जिससे मूल समस्याओं की तरफ,
जनता का ध्यान नहीं जाएगा।।
इसलिए तो कहता हूँ कि,
बापू तेरे बंदर कमाल के है।।
नोट : कविता में सीधा बापू लिखा गया है इसका ये मतलब नहीं है कि हम उन्हें आदर नही दे रहे वो तो पूज्यनीय है क्योकिं वो देश के राष्ट्रपिता है। इसलिए उन्हें जन्मदिन के अवसर पर अपने श्रद्धा के फूल उनके चरणों मे चढ़ाता हूँ।