यारों कोरोना ने सब की, हैसियत बता दी
जाने कितनों की इसने, असलियत बता दी
जो खाते थे हमेशा, मोहब्बतों की कसमें,
उनकी वफा की इसने, कैफियत बता दी
हर किसी को पड़ी है, बस अपनी अपनी,
जान अपनी की इसने, अहमियत बता दी
सच तो ये है कि, आदमी अकेला है इधर,
इस ज़िन्दगी की इसने, ख़ासियत बता दी
चाहे बीवी हो या बच्चें, चाहे भाई या बहिनें,
यारों हर रिश्ते की इसने, हकीक़त बता दी
फिरते लिए हम, उन सात वचनों को यारा,
पर उन वचनों की इसने, हैसियत बता दी
आयी है ये आफ़त, तो ये जायेगी भी ‘मिश्र’,
मगर हर किसी को इसने, नसीहत बता दी