chahat

जिगर में एक शोर, जी उठा है फिर से
वो गुज़रा, किरदार, जी उठा है फिर से

बड़े ही जतन से बाँध कर रखा था इसे,
यारों दिल फ़ितरती, जी उठा है फिर से

ला पटका है वक़्त ने उसी जगह पे हमें,
मोहब्बत का अरमां, जी उठा है फिर से

उन चोटों के निशां तो ज़िंदा हैं अभी भी,
यारों उनका वो दर्द, जी उठा है फिर से

रखी थीं बचा कर हमने बेजान ख़्वाहिशें,
चाहतों का वो बवंडर, जी उठा है फिर से

आखिरी पड़ाव पर है ‘मिश्र’अब ये सफर,
पर वो गुज़रा जमाना, जी उठा है फिर से

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *