जब सीखा था बोलना,
और बोला था माँ।
जो लिखा जाता है,
हिंदी में ही सदा।।
गुरु ईश्वर की प्रार्थना,
और भक्ति के गीत।
सबके सब गाये जाते,
हिंदी में ही सदा।
इसलिए तो हिंदी,
बन गई राष्ट्र भाषा।।
प्रेम प्रीत के छंद,
और उसी के गीत।
गाये जाते हिंदी में,
अपनी प्रेमिका के लिए।
रस बरसाते युगल गीत,
सभी को बहुत भाते।
और ताजा कर देते,
अपनी पुरानी यादें।।
याद करो मीरा सूर,
और करो रसखान को।
हिंदी के गीतों से बना,
गये इतिहास को।
युगों से गाते आ रहे
उनके हिंदी गीत।
गाने और सुनने से,
मंत्र मुध हो जाते।।
मेरा भी आधार है,
मातृ भाषा हिंदी।
जिसके कारण मुझे,
मिली अब तक ख्याति।
इसलिए माँ भारती को,
सदा नमन करता हूँ।
और संजय लिखता,
हिंदी में अपने गीत।।
मातृभाषा हिंदी की,
शत-शत वन्दन करता हूँ।
और अपना जीवन हिंदी
को समर्पित करता हूँ।
हिंदी को समर्पण करता हूँ।।