रामलीला का आयोजन चल रहा था। दृश्य था “सीता – हरण”। पंडाल भरा हुआ था। आयोजकों ने महिलाओं और पुरुषों के लिए बैठने की व्यवस्था, सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से अलग-अलग की थी। सभी लोग लीला का आनंद ले… Read More
कहानी : पटना के सात शहीदों की कहानी,जो रोंगटे खड़ी कर देगी।
द्वितीय विश्वयुद्ध में हमारे समर्थन के बदले अंग्रेजों ने आज़ादी देने का वादा किया था । लेकिन ऐसा हुआ नहीं । गोरों ने वादाखिलाफ़ी की । हम छले गए । हमें आज़ादी नहीं, धोखा मिला । आक्रोश ने आंदोलन का… Read More
लेख : सुंदर नगरी
सब कुछ समेटा जा रहा था , आंदोलन समाप्त हो चुका था । आंदोलन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से जुड़े लोग भी अपने उन पुराने दिनों में लौटने की तैयारी में जुटे थे ,जिनको वो काफी पीछे छोड़… Read More
लघुकथा : विदाई
बड़े साहब का ट्रान्सफर हो गया था। तीस तारीख को उन्हे रिलीव होना था। साहब बड़े उदार दिल के थे। लोकप्रिय भी। इसलिये ऑफिस की तरफ से उन्हें भव्य विदाई पार्टी देने का निर्णय लिया गया था। एक अच्छे कार्यक्रम… Read More
कहानी : अटूट बंधन
यह कहानी एक डॉ. के निष्काम कर्म, सेवा, करुणा के दायित्व बोध का संदेश देती हुई डॉ. और मरीज के मध्य कर्तव्य और रिश्तों की व्यख्या कराती है। कहानी दो पात्रों के इर्द गिर्द घूमती है पहला पात्र है डॉ… Read More
लघुकथा : यूज एंड थ्रो
अदिति… आओ लंच करें… मिली ने टिफिन खोलते हुए कहा। “नो डियर, तुम कर लो, मुझे भूख नहीं है।” अदिति ने विंडो से बाहर देखते हुए कहा। “व्हाट डू यू मीन, भूख नहीं है।” क्या बात है दिवाकर, अभी भी… Read More
लघुकथा : अफ़साना
अफसाना… … ! जिसकी ज़िंदगी उसके नाम की तरह ही गुमनाम है और जिसका संघर्ष उसकी ज़िंदगी की तरह ही अनदेखा। वह एक छोटे से गाँव के निम्न वर्गीय या कह लीजिए शोषित वर्गीय परिवार की बेटी है। शिक्षा का… Read More
छोटे शहर की बड़ी प्रेम कथाएँ
छोटे-छोटे शहरों में ही बड़ी प्रेमकथाएँ जन्म लेती हैं। भले इतिहास में इनका कोई जिक्र नहीं होता है लेकिन इनमें सुख-दुख के साथ हमेशा एक नया संघर्ष और जिज्ञासाएँ छुपी होती थीं। इन प्रेमकथाओं में भी एक हीरो और एक… Read More
लघुकथा : रावण का फोन
ट्रिंग.. ट्रिंग… हैलो जी, आप कौन? मैंनें फोन रिसीव करके पूछा मैं रावण बोल रहा हूँ। उधर से आवाज आई…। रावण का नाम सुनकर मैं थोड़ा घबड़ाया, फिर भी हिम्मत जुटाकर पूछ लिया-जी आपको किससे बात करना है? आपसे महोदय।… Read More
लघुकथा : बदला
विजय झा ने शराब की तस्करी करके करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली थी और अब उसने अपने काले धन को सफेद करने के लिए एक स्कूल खोल लिया था। उसने उस स्कूल का नाम अपने इकलौते बेटे अभिज्ञान के… Read More