बचपन से उनको मुझे अपनी बहु बनाने का बहुत शौक था इसलिए वो मुझे पतोहू कहकर बुलाती थी, जबसे मैंने होश संभाला तबसे मुझे उसी नाम से उन्हें पुकारते हुए सुना है। मैं बहुत छोटी थी, मेरे डैडी और उनके… Read More

बचपन से उनको मुझे अपनी बहु बनाने का बहुत शौक था इसलिए वो मुझे पतोहू कहकर बुलाती थी, जबसे मैंने होश संभाला तबसे मुझे उसी नाम से उन्हें पुकारते हुए सुना है। मैं बहुत छोटी थी, मेरे डैडी और उनके… Read More
रामलीला का आयोजन चल रहा था। दृश्य था “सीता – हरण”। पंडाल भरा हुआ था। आयोजकों ने महिलाओं और पुरुषों के लिए बैठने की व्यवस्था, सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से अलग-अलग की थी। सभी लोग लीला का आनंद ले… Read More
द्वितीय विश्वयुद्ध में हमारे समर्थन के बदले अंग्रेजों ने आज़ादी देने का वादा किया था । लेकिन ऐसा हुआ नहीं । गोरों ने वादाखिलाफ़ी की । हम छले गए । हमें आज़ादी नहीं, धोखा मिला । आक्रोश ने आंदोलन का… Read More
सब कुछ समेटा जा रहा था , आंदोलन समाप्त हो चुका था । आंदोलन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से जुड़े लोग भी अपने उन पुराने दिनों में लौटने की तैयारी में जुटे थे ,जिनको वो काफी पीछे छोड़… Read More
बड़े साहब का ट्रान्सफर हो गया था। तीस तारीख को उन्हे रिलीव होना था। साहब बड़े उदार दिल के थे। लोकप्रिय भी। इसलिये ऑफिस की तरफ से उन्हें भव्य विदाई पार्टी देने का निर्णय लिया गया था। एक अच्छे कार्यक्रम… Read More
यह कहानी एक डॉ. के निष्काम कर्म, सेवा, करुणा के दायित्व बोध का संदेश देती हुई डॉ. और मरीज के मध्य कर्तव्य और रिश्तों की व्यख्या कराती है। कहानी दो पात्रों के इर्द गिर्द घूमती है पहला पात्र है डॉ… Read More
अदिति… आओ लंच करें… मिली ने टिफिन खोलते हुए कहा। “नो डियर, तुम कर लो, मुझे भूख नहीं है।” अदिति ने विंडो से बाहर देखते हुए कहा। “व्हाट डू यू मीन, भूख नहीं है।” क्या बात है दिवाकर, अभी भी… Read More
अफसाना… … ! जिसकी ज़िंदगी उसके नाम की तरह ही गुमनाम है और जिसका संघर्ष उसकी ज़िंदगी की तरह ही अनदेखा। वह एक छोटे से गाँव के निम्न वर्गीय या कह लीजिए शोषित वर्गीय परिवार की बेटी है। शिक्षा का… Read More
छोटे-छोटे शहरों में ही बड़ी प्रेमकथाएँ जन्म लेती हैं। भले इतिहास में इनका कोई जिक्र नहीं होता है लेकिन इनमें सुख-दुख के साथ हमेशा एक नया संघर्ष और जिज्ञासाएँ छुपी होती थीं। इन प्रेमकथाओं में भी एक हीरो और एक… Read More
ट्रिंग.. ट्रिंग… हैलो जी, आप कौन? मैंनें फोन रिसीव करके पूछा मैं रावण बोल रहा हूँ। उधर से आवाज आई…। रावण का नाम सुनकर मैं थोड़ा घबड़ाया, फिर भी हिम्मत जुटाकर पूछ लिया-जी आपको किससे बात करना है? आपसे महोदय।… Read More