कविता : मेरे जीवन आधार

मेरे जीवन आधार सदा, केशव माधव वृषभानु दुलारी मोपे कृपा करो मेरे कष्ट हरो मेरे नटवर की प्राणन प्यारी जमुनातट हो वंशी वट हो, नैनन आगे मेरो नटखट हो चितचोर चपल चंचल मन में, रख लूँ तुम्हें मेरे रास बिहारी… Read More

शिक्षक सम्मान से सम्मानित हुए प्रो. उपेंद्र कुमार

शिक्षक संघ, उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के तत्त्वावधान में आज आगामी 30 जून 2025 को अवकाश ग्रहण करने जा रहे सांख्यिकी विभाग के प्रो. उपेंद्र कुमार का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के पूर्व… Read More

कविता : स्वच्छता अभियान

आओ सब मिल एक बने हम, स्वच्छता की ओर बढ़ें हम। भारत मां की यही पुकार, स्वच्छ बने ये घर–संसार। आओ बढ़ाएं कदम पुरज़ोर, बढ़े कदम स्वच्छता की ओर। घर से निकलो सब लोग अभी, यह पुण्य कार्य पूर्ण होंगे… Read More

operation sindoor

कविता : ऑपरेशन सिंदूर

शेर-शेरनियाँ घूम रहे थे पहलगाम की वादी में, चूहों ने था घात लगाया, कायरता की आदी में। चूहा अपने बिल से निकला कुछ चूहों को साथ लिए, वादी को आतंकित कर दी बंदूकों को हाथ लिए। बोला अपना धर्म बताओ… Read More

tahni

कविता : टहनी-टहनी बिखरी स्मृति

छांव में जिसकी खेले बचपन, जिसकी छाया में बीते जीवन, आज वही पेड़ खड़ा अकेला, बता रहा है अपना मन का ग़म। टहनी-टहनी बिखरी स्मृति, पत्तों में छुपी हैं कहानियाँ कितनी। कभी था वह गाँव की शान, अब अनदेखा, जैसे… Read More

bachpan

कविता : बचपन

बचपन की वो गलियाँ, वो मिट्टी की खुशबू, नंगे पाँव दौड़ना, बारिश में भीगना खूब। कंचे, लट्टू, पतंगों की उड़ान, हर खेल में छुपा था कोई अनजान गुमान। न किताबों का बोझ, न जिम्मेदारियाँ भारी, हर दिन था उत्सव, हर… Read More

samudra ki yatra

कविता : दर्शन और भौतिकी का संवाद

समुद्र की यात्रा पर दर्शन और भौतिकी मिले दोनों ही जिज्ञासु, दोनों ही अद्भुत लगे। थोड़ी देर मौन के बाद भौतिक मुस्कुराकर बोला— हम दोनों का लक्ष्य तो एक ही है: सत्य, ज्ञान, और ब्रह्माण्ड की खोज। मगर फर्क बस… Read More

meri maan

कविता : मेरी माँ

मेरी माँ तेरा साया, सदा मैंने पाया तूने मुझको दिखाया जहाँ मेरी ऊँगली पकड़ चलना तूने सिखाया तुझ सी ममता मिलेगी कहाँ? तेरी साँसो से ही फूल नन्हा खिला तुझसे जीवन मिला मुझको माँ पहला भगवान तू, कृष्ण तू राम… Read More

pahalgaam

कविता : लेना होगा पूरा हिसाब

पहलगाम में आतंकी, गुरगों ने कुत्सित काम किया। निहत्थे निर्दोषों का क्यों, उनने कत्ले आम किया? आतंक की दुकाने उनकी, बम गोलियों के हथियार। दहशत का बाजार गर्म कर, षडयंत्रों की मारे मार। खूबसूरत कश्मीर में वो है, बदनामी के… Read More

ग़ज़ल : फिर भी बुरे ही रहेंगे हम

ख़ुद को बचा ख़ुदी से बचे ही रहेंगे हम। कल भी भले थे सबके भले ही रहेंगे हम।। साज़िश तमाम हो रही सच को मिटाने की। मिटने न देंगे सच को अड़े ही रहेंगे हम।। होता नहीं रईस कभी जो… Read More