शेर-शेरनियाँ घूम रहे थे
पहलगाम की वादी में,
चूहों ने था घात लगाया,
कायरता की आदी में।
चूहा अपने बिल से निकला
कुछ चूहों को साथ लिए,
वादी को आतंकित कर दी
बंदूकों को हाथ लिए।
बोला अपना धर्म बताओ
कलमा पढ़ कर हमें सुनाओ,
शेर ने अपना धर्म बताया,
हिंदुस्तान का मान बढ़ाया।
चूहों को यह सहन नहीं था
धर्म का सच्चा ज्ञान नहीं था,
धड़ धड़ धड़ धड़ चलाई गोली
मानवता की जलाई होली।
धर्म पूछ कर सिंदूर मिटाया
निर्दोष का तूने खून बहाया,
खून के आँसू हमें रुलाया
शांति दूत को बहुत सताया।
माना हम बापू के सेवक
सुभाष-भगत भी हमारे प्रेरक,
अब बिल्कुल न सहन करेंगे
तेरी गोली पर गोला दागेंगे।
भारत के सब शेर-शेरनियाँ
गुस्से में अब रहे दहाड़,
सब चूहे समूल नष्ट हों
बब्बर शेर यही रहे विचार।
बब्बर शेर ने सभा बुलाई
सभासदों ने योजना बनाई,
सिंधु जल संधि को तोड़ा
पानी रोक कर जल-बम फोड़ा।
बिल-बिला रहे थे चूहे
अपने बिल में प्यास के मारे,
अब भी अक्ल न आई उसको
कौन बचाए? मिटना हो जिसको।
पूरा हिंद एक साथ बढ़ा था
सेना पर विश्वास बड़ा था,
सैनिक दल में जोश भरा था
दुश्मन को रौंदने खड़ा था।
तुम चूहे, छुपकर आते हो
हम, दहाड़ कर आयेंगे,
तेरे ही घर में घुस कर
तुझे मसल मसल कर मारेंगे।
विक्रांत सुदर्शन सम्मुख आए
दुश्मन के हर वार नष्ट कर,
उसको पल पल डरा डरा कर
उसके सारे अस्त्र मिटाए।
राफेल के रथ पर बैठ शेरनी
सटीक निशाना लगा लगा कर,
चूहों को उसके ही बिल में
रौंद रौंद कर मिट्टी भर दी।
क्या पाया (तुमने) चूहों ने सोचो
सिंदूर के धर्म की ताकत देखो,
बचे हुए सब यही सबक लो
वरना मिटने को तत्पर हो।
भारत माँ की जान है सेना
देशवासी का मान है सेना,
तिरंगे का अभिमान है सेना
संबल में बलवान है सेना।
सामने इनके शत्रु बेबस हैं
इनके अस्त्र-शस्त्र तेजस हैं,
इनकी कीर्ति सदा सुजस हैं
भारत के चौकीदार चौकस हैं।