कविता : दिखने लगी है साफ साफ (डॉ. विजय कु. मिश्र)

हमारा सोचना कि हम जोर लगा दें तो पत्थर को भी पानी बना सकते हैं हमारा सोचना कि हम उछाल दें पत्थर तबियत से तो सुराख कर सकते हैं आसमान में हमारा सोचना भर था। ऐसी बहुत सी चीजें जो… Read More

कविता : प्रस्थान बिंदु (डॉ. विजय कु. मिश्र)

मछलियाँ नहीं जानती लेना प्रतिशोध वे नहीं पहचान पाती उस मछेरे को जिसने फँसाया उसे अपने जाल में वे तो जानती हैं बस तड़पना तड़प तड़प कर मरना नदी से विच्छिन्न हो दरअसल वे परिचित हैं भलीभाँति अपने इतिहास से… Read More

कविता : अक्षय तूणीर (डॉ. विजय कु. मिश्र)

कर दिया था प्रवाहित जल में अग्निदेव के निर्देश पर अर्जुन ने पांडवों के महाप्रस्थान के समय अपना गांडीव और उसी के साथ अपना अक्षय तूणीर भी जो पाया था उन्होंने अपनी साधना से स्वयं शिव से सृष्टि के कल्याण… Read More

कविता : वो चला गया, अपने गाँव

“श्रमिक एक्सप्रेस” खुल गई है शहर, तुम ख़ुश रहो वो चला गया, अपने गाँव वही, जिसे तुम मज़दूर कह कर दया से भर रहे थे। वही, जो न जाने कितने सालों से अपने पसीने को मेहनत की भट्टी में पकाकर… Read More

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कविता : बेटा बनवारी खूब मन लगा के

बेटा बनवारी ! खूब मन लगा के पढ़ो तनिक बेटा बनवारी खूब मन लगा के…. जितना चली तोहार हाथ, तबे बनी कोई बात, काम मिली सरकारी ख़ूब मन लगा के… गॉव नागरिआ के एके पढ़वइया बचपन मे दूर भईले बाप… Read More

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गीत : गौ माता को बचाना है

बनकर गौ माता के रक्षक, बचाये कसाईयों से इन्हें। लेकर एक गाय को गोद, उसे जीवन आप दे सकते हो। और जीव हत्या के इस, खेल को आप रोक सकते हो। और दुनियां में जीओ जीने दो को, पुनः जिंदा… Read More

लघुकथा : मज़दूर

कामिनी देवी जब कभी भी अपने राइस मिल पर जाती थीं, माधो से ज़रूर मिलती थीं। माधो उनकी राइस मिल में कोई बड़ा कर्मचारी नहीं, बल्कि एक मज़दूर था। राइस मिल में काम करने वाले सभी लोगों का मानना था… Read More

kavita hai bhai mera police

कविता : है भाई मेरा पुलिस

मुझसे ज़्यादा खुद को कभी तोलना नहीं है भाई मेरा पुलिस, कुछ बोलना नहीं । तेरे दिल में छुपे राज़ मेरे खोलना नहीं है भाई मेरा पुलिस कुछ बोलना नहीं। पुलिस लाइन का छोरा, स्कूल में अपनी मौज थी पढ़ने… Read More

गीत : सुन लो मेरी…

मंदिर मस्जिद और,   गुरुद्वारा में गये। श्रद्धा से सिर को, झुकाया वहां पर। और कि प्रार्थना, सामने उनके बैठकर। हे प्रभु सुन लो, अरज मेरी तुम। और दे दो वरदान, अमन चैन से रहने का। ताकि खुश रह सके, अब… Read More

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कविता : जो कुछ भी दे जिंदगी

जो कुछ भी दे जिंदगी, उसे आपस में बाँट लो। अपना हक़, अपना हिस्सा, सब बराबर माप लो।। दुःख हो, या सुख, गम्म हो या हो ख़ुशी। सबके अपने आँसू हैं, सबकी अपनी हंसी। भाग्य की अपनी किस्मत नहीं, कर्म… Read More