bhojpuri kavita beta banwari

बेटा बनवारी !
खूब मन लगा के पढ़ो तनिक बेटा बनवारी खूब मन लगा के….
जितना चली तोहार हाथ, तबे बनी कोई बात, काम मिली सरकारी
ख़ूब मन लगा के…

गॉव नागरिआ के एके पढ़वइया
बचपन मे दूर भईले बाप माई भइया,
का उनके ही जैसे बेचबा भाजी तरकारी.
खूब मन लगा के….

ट्यूशन करलो दुए चार, चाहे कोचिंग हज़ार
फिर गिर जाए बार, चाहे पक जाए कपार
रट जाओं सब क़िताब जितनी सजी अलमारी.
खूब मन लगा के….

करो दूर दोस्त यार संघी संघाती
दूल्हा होता ख़ास सब बाकि बाराती,
तू बनजा राजा सलाम ठोकिहें दरबारी.
खूब मन लगा के…

ऐसा करो कुछ काम रोशन करो मेरा नाम
मिले राम जी के कृपा मैं घुमू चारो धाम.
का घुमत बटबा झुंझुंना, भोपू बाज़ारी.
ख़ूब मन लगा के…

मिली दिल्ली शहरिया मे बड़की नोकरिया
आगे पीछे नौकर होइहै चारों पहरिया,
काम होइ सब ओके, लोग अइहैं, बारी बारी.
खूब मन लगा के…

खूब मन लगा के पढ़ो तनिक बेटा बनवारी खूब मन लगा के….
जितना चली तोहार हाथ, तबे बनी कोई बात, काम मिली सरकारी
ख़ूब मन लगा के…बेटा बनवारी !

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