श्रेणी

कविता : यह पुरुष नहीं तो कौन है ?

वह किसी नन्ही सी गुड़िया के लिए सुकून का ठिकाना, वह किसी निराश सर के लिए मजबूत कंधे का बहाना, वह किसी बच्चे को दौड़ते हुए समय से स्कूल पहुंचाना, वह किसी बूढ़ी माँ के रोगों का एकमात्र दवाखाना, वह… Read More

मूवी रिव्यू : कर्ज चुकाती है ‘रुई का बोझ’

बाप ही एक ऐसी सम्पत्ति होता है। जिसे बेटा पूरी तरह दूसरे भाईयों को देने के लिए तैयार रहता है। बुढ़ापा तो उसी दिन शुरू हो जाता है। जब हम जाने अनजाने उसके खिलाफ लड़ाई शुरू कर देते हैं। पिता… Read More

व्यंग्य : तो क्यों धन संचय

हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी , “पूत कपूत तो क्यों धन संचय पूत सपूत तो क्यों धन संचय” जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है… Read More

कविता : ‘संजय जैन’ की कविताएं भाग 1

क्या था बचपन याद आ रहे है हमें, वो बचपन के दिन। जिसमे न कोई चिंता, और न ही कोई गम। जब जैसा जहां मिला, खा पीर हो गए मस्त। न कोई जाति का झंझट, न कोई ऊंच नीच का… Read More

मूवी रिव्यू : ऐसी फिल्म देखकर ‘मरजावां’

मरजावां फ़िल्म की पटकथा 80 के दशक की सी है। ऐसी कुछ फिल्में अनिल कपूर, सनी देओल और जैकी श्रॉफ ने भी की थी।  अब लगता है, लगभग तीन दशक बाद सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​की बारी है। फ़िल्म मरजावां का सेट… Read More

रिलीज से पहले जानिए कैसी है पानीपत

हिन्दुस्तान की धरती बहुत से महायुद्धों की गवाह रही है। वर्तमान समय में भले ही यह हमें हमारी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने पड़ोसी मुल्कों से सीमा की सुरक्षा करनी पड़ती है। लेकिन एक समय वो भी था जब… Read More

मानवता के कवि जयशंकर प्रसाद

आज छायावाद के प्रवर्तक कवि, लेखक, निबंधकार, उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद की पुण्यतिथि है। दिनांक 15 नवम्बर 1937 हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक इस कवि का दुनिया से प्रस्थान हो गया था। उन्होंने हिन्दी काव्य… Read More

माँ की शिक्षा : बचपन Vs 2019

Happy Children’s Day to All … क्योंकि हम सब अपनी माँ के लिए बच्चे ही तो हैं और हमेशा बच्चे ही रहेंगे। तो आइए आज बचपन की ओर लौटते हैं और देखते हैं कि …. बचपन के खेल निराले थे…… Read More

8वां धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह : खूबसूरत पहाड़ों में फिल्मों का मेला

हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत हिल-स्टेशन धर्मशाला की चर्चा या तो एक लुभावने पर्यटन-स्थल के तौर पर होती है या फिर दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित क्रिकेट स्टेडियम के कारण। लेकिन बीते कुछ बरसों में धर्मशाला एक और कारण से… Read More

प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे हैं हम

कच्चे हैं हम, मगर सच्चे हैं हम, प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे हैं हम…2 गुलशन में कितने ही रंग से खिले, माला में गुंथे बड़े अच्छे हैं हम। कच्चे हैं हम मगर सच्चे हैं हम। भारत की हम शान बनें, मान और… Read More