वह किसी नन्ही सी गुड़िया के लिए सुकून का ठिकाना,

वह किसी निराश सर के लिए मजबूत कंधे का बहाना,

वह किसी बच्चे को दौड़ते हुए समय से स्कूल पहुंचाना,

वह किसी बूढ़ी माँ के रोगों का एकमात्र दवाखाना,

वह किसी अनाथ के लिए खुशियों का अनमोल खजाना,

वह किसी हसीन सी मोहब्बत का बेपनाह दीवाना,

वह किसी बहन की अस्मिता के लिए दुनिया से टकराना,

वह किसी छतरी सा खुलकर परिवार पर तन जाना,

वह अपने कष्टों पर मुस्कराहट का छद्म लेप लगाना,

वह किसी कामकाजी के बच्चे को माँ सा प्यार जताना,

वह किसी दामिनी जैसे अत्याचार पर खुद शर्माना,

इसकी महत्ता पर समाज क्यों मौन है…

यह पुरुष नहीं तो कौन है..??

#International_Mens_Day

(सभी पुरुष मित्रों को समर्पित)

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One thought on “कविता : यह पुरुष नहीं तो कौन है ?”

  1. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति …..

    बधाई कविवर।

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