कविता : यह पुरुष नहीं तो कौन है ?

वह किसी नन्ही सी गुड़िया के लिए सुकून का ठिकाना, वह किसी निराश सर के लिए मजबूत कंधे का बहाना, वह किसी बच्चे को दौड़ते हुए समय से स्कूल पहुंचाना, वह किसी बूढ़ी माँ के रोगों का एकमात्र दवाखाना, वह… Read More

व्यंग्य : दिवाली ‘पटाखा’ और ‘फुलझड़ियाँ’

जब से इस देश में सनी लियोनी टाइप्ड विदेशी पटाखा क्या आया है तब से न जाने क्यों घर के पटाखे सीलन भरे ही नज़र आने लगे हैं । अब तो माहौल ही ऐसा है कि अपने घर का बम… Read More