क्या था बचपन

याद आ रहे है हमें,
वो बचपन के दिन।
जिसमे न कोई चिंता,
और न ही कोई गम।
जब जैसा जहां मिला,
खा पीर हो गए मस्त।
न कोई जाति का झंझट,
न कोई ऊंच नीच का भेद।
सब से मिलकर रहते थे,
जैसे अपनो के बीच ।
पर जैसे-2 बड़े होते गये,
वो सब हमे सीखा दिया।
बचपन में अनभिज्ञ थे जिससे,
स्वार्थ के लिए जहर पिला दिया।
और मानो हमे बचपन का,
सारा मतलब ही भूला दिया।
तभी तो लोग कहते है,
लौटकर बचपन आ नही सकता।
और बचपन की यादों को,
भूलाया जा नही सकता।।
मोहब्बत करना सीखो
किसी से मोहब्बत करना,
बहुत अलग बात है।
मोहब्बत कर के दिल में,
 उतार जाना बड़ी बात है।
मगर लोगो ने मोहब्बत को,
एक नुमाइश बना दिया।
आज इससे तो कल उससे,
करके दिखा दिया।।
मोहब्बत कभी भी नुमाइश की,
चीज हो नही सकती।
जो ऐसा करते है,
वो मोहब्बत कर नही सकते।
मोहब्बत वो बंधन है,
जो दिल से निभाना पड़ता है।
अगर मोहब्बत समझना है,
तो पढ़ो राधा कृष्ण,
मीरा कृष्ण के चरित्रों को।
मोहब्बत का सही अर्थ,
समझ तुम्हे आ जायेगा।।
मोहब्बत को जो लोग,
 नुमाइश समझते है।
जिंदगी उनकी वीराना,
 एक दम हो जाती है।
तभी तो सब होते हुए भी,
अकेला घुट घुट कर जीता है।
खुद अपनी जिंदगी को,
नरक वो ही बनाता है।।
ये दुनियाँ बहुत सुंदर है,
इससे जीना तो सीखो।
मोहब्बत करके लोगो के,
दिल में बसना तुम सीखो।
तुम्हारी जिंदगी पूरी,
बदल जायेगी एक दिन।
अमर हो जाओगे तुम,
इतिहास के पन्नो में।।
संगीत का महत्व

सुनाकर मुझे अपना राग,
मेरा मन बहलाते हो।
थकान मेरी अपने गीतों से,
तुम मिटाते हो।
तभी तो संगीत को,
 महफ़िल की शान मनाते है।
और हर राज दरबारों में,
इन्हें स्थापित करते है।।
समय ने फिर करवट ली,
बदल गया सबका नजरिया।
संगीत को मनोरंजन का,
साधन माने जाने लगा।
अब गांव और शहरों में,
इसका आयोजन होने लगे।
जिस से इंसानों की,
थकान मिट ने लगी।
और समाज में हर्ष उल्लास का,
वातावरण बनने लगा।।
काम के साथ साथ,
लोग गीतों को सुनते है।
और काम को,
बड़े आनदं से करते है।
मनोरंजन करके भी,
वो कार्य क्षमता बढ़ाते है।
तभी तो संगीत को,
विशेष दर्जा दिलवा रहे है।।
ज्ञान और ध्यान

ज्ञान और ध्यान का,
हो जाये यदि मिलन।
सार्थिक हो जाएगा,
तुम्हारा ये जीवन।
ऐसा में नही कहता,
कह रहे सारे विद्दमान।
अब तुम्हे ही करना है,
अपने जीवन का फैसला।।
मन तुम्हारा क्या कहता,
जान लो तुम सोचकर।
करना क्या आगे तुम्हें,
खुद तुम ही सोच लो।
अपनी करनी के लिए,
खुद रास्ता तुम चुनो।
फिर उस पर तुम,
चलकर आगे बढ़ो।।
जैसा तुम चाहोगे,
वैसा ही कर पाओगे।
ज्ञान अपना तुम,
फिर दिखा पाओगे।
ध्यान और साधना से,
कुछ तो कर जाओगे।
मानव जीवन अपना,
सफल बना जाओगे।।
इसलिए कहता हूँ,
ज्ञान अनमोल है।
ध्यान बिना जीवन,
बिल्कुल भी अधूरा है।
दोनों के संगम से ही,
दुनियां को समझा सकते हो।।
क्या कोई जानता है

जन्म से पहले और
मृत्यु के बाद,
क्या किसीको कोई जानता है?
ये प्रश्न दुनियां बनाने वाले ने,
हर किसी के मन में उलझाया है।
और जीवो को उनकी शैली अनुसार,
जीने का तरीका सिखलाया है।
और इस भू-मंडल में सभी को,
स्वंय की करनी के अनुसार उलझाया है।।
जन्म से लेकर बोलने तक,
मन ह्रदय पवित्र होता है।
फिर मायावी लोगो का,
 खेल शुरू होता है।
किसको क्या बुलवाना है,
और ध्यान केंद्रित किस पर कराना है।
जो कहा न सके सीधे सीधे,
वो बात बच्चो से बुलबाते है।
और अपना उल्लू सीधा करवाते है।।
वाह री दुनियां और इसे बनाने वाले,
क्या तूने दुनियां बनाई है।
रिश्तों का अंबार लगाया,
फिर अपास में लड़वाया।
देख तमाशा इस दुनियां का,
फिर कैसे रिश्तों को धूल चटवाया।
सारी हदें पार करा दी,
जब बेटा-बेटी को माँ बाप से,
भाई बहिन को अपास में खूब लड़वाता है।।
तभी तो कहते है
जन्म से पहले,
और मृत्यु के बाद

कोई किसी को जानता है?

 

त्यौहारों को विराम

दो महीनों के लिए अब,
बंद हुए धार्मिक त्यौहार।
नये साल से फिर आएंगे,
हिंदुओ के त्यौहार।
तब तक मौज मस्ती,
तुम सब कर लो।
हम भी करते है आराम।
क्योंकि प्रकृति ने दिया
है,
मौका हम सब को इसका।।
कितना धर्म कर्म किया है
खुद करो,
अब अपना मूल्यांकन।
क्या खोया और क्या पाया है,
खुद ही जान लो इन दिनों में।
सच्ची श्रध्दा और भक्ति का,
 फल हर किसी को मिलता है।
क्योंकि भगवान भक्तों पर,
दया करुणा भाव रखते है।।
अहंकारियों का नाश सदा,
स्वंय मनुष्य ही करता है।
और दोष विपत्तियों का,
वो भगवान पर मढ़ता है।
किया नही दान धर्म और
फिर भी पाने की चाहात रखता है।
अब तुम ही बतलाओ लोगो,
क्या बिना कर्म किये कुछ मिलता है?
इसलिए ज्ञानी कहते है,
श्रध्दा भाव रखो मन मे।
फल की चिंता छोड़ कर,
 गुण गान प्रभु का किया करो।।
प्यारा भारत

जन्म लिया है भारत में,
तभी तो प्यारा लगता है।
विश्व में सबसे न्यारा,
देश हमारा दिखता है।
कितने देवी देवताओं ने,
जन्म लिया इस भूमि पर।
धन्य हो गए वो सभी जन,
जिन्हें मिला जन्म इस भूमि पर।।
कण कण में बस्ते है भगवान,
वो भारत देश हमारा है।
कितनी नदियां यहां पर बहती,
जिनको माता कहकर बुलाते है।
जिनके जल से लोग यहां पर,
अपने पापो को धोने आते है।
तभी तो लोग कहते है,
की भारत सबसे प्यारा है।।
भाषा का भी आदर भाव,
यहां पर बहुत दिखता है।
सुख दुख में भी साथ खड़े,
लोग यहां पर दिखाते है।
अपनी मूल संस्कृति से,
नही ये करते समझौता।
तभी तो आस्थाओं में,
विश्वास करते लोग यहां।।
इसलिए तो विश्व में सबसे,

न्यारा भारत हमारा दिखता है ।।

 

मन दिखता है

मुझे राह दिख,
लाने वाले मेरे मन।
कभी राह खुद तुम,
यूही न भटकना।
मुझे राह….……।
मोहब्बत में जीते,
मोहब्बत से रहते ।
मोहब्बत हम सब,
जन से है करते।
स्नेह प्यार की दुनियां,
हम हैं बसाते।
मुझे राह……..।।
न भेद हम करते,
जाती और धर्म में।
न भेद करते,
ऊंच और नीच में।
में रखता हूँ समान भाव,
अपने दिल में।
मुझे राह……….।।
हमे अपनी संस्कृति,
को है बचना ।
दिलो में लोगो के,
प्यार है जगाना।
अपनी एकता और
अखंता बचाना।
मुझे राह ………।।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *