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काव्य : क्या कमाया

संसार-सागर सिर्फ समय-सराय , परमात्मा से बिछड़, आत्मा यहां आय। पार्थिव तत्वों को उसने ही गूँथकर, घररूपी नश्वर शरीर बनाया । हाथ खुले रखकर है जाना , फिर क्यों सोचे..? कि क्या तूने कमाया ..? पाने से ज्यादा तू खोकर… Read More

moon night

कविता : मेरी अभिलाषा

चाह नहीं, गुरु द्रोण सा बनकर, खातिर अर्जुन, एकलव्य मिटाऊँ। इतनी सी बस, चाह जरूर कि, बन चाणक्य, कई चन्द्र खिलाऊँ।। चाह नहीं, वो देवों की सी, सुबह शाम पूजा जाऊँ। इतनी सी बस, चाह जरूर कि, मानव का मैं,… Read More

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दोहा : सवा-शतक

‘अजस्र’ किरपा गणेश की, सारों सगरे काम । वाणी, मात-पिता सहित, लियो राम का नाम॥ ‘अजस्र’ शक्ति उस देवी से, सीता सत का नाम । कलम-मसी करते रहें, वीणापाणि प्रणाम ॥ ‘अजस्र’ बली तुम पवन से, शंकर-सुवन प्रणाम । ‘सवा-शतक’… Read More

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कविता : जौहर-ज्वाला पद्मिनी

धधक उठी ज्वाला जौहर की राजस्थान कहानी थी । रतन सिंह मन-प्रेम पद्मिनी ,वो मेवाड़ की रानी थी। गन्धर्वराज घर की किलकारी,चम्पावती की मन ज्योति। सिंहलद्वीप की राजरागिनी , स्त्री की थी उच्चतम कोटि। सुंदरता तन में भी अनुपम ,मन… Read More

gayan

कविता : अजस्र श्रृंगार

छोड़ो शर्म को ,मुखर बनो तुम , बोलो हृदय के सब उद्गार । आसमान भी लगे फिर छोटा , उन्मुक्त उड़ोगे जब पंख परवाज । पनडुब्बे से तुम बन जाओ । अथाह सागर में गोत लगाओ । मोती ज्ञान के… Read More

nayasal

काव्य : वर्ष नया ,नया त्योहार

दिवस बदलते, माह बदलते, बदले कैलेंडर, बदले कई वार । चलो मनाएं ,नई सुबह पर, नए वर्ष का ,नया त्योहार । धरा वही ,आसमां वही है, लगे नया ,भव-पारावार । वर्ष नया , कैलेंडर बदला, सोच भी बदलें, अब की… Read More

mansanti

पद्य : एक उस भगवन

मन-मग रहत , बस एक उलझन । हदय बस तब , चयन उस भगवन । जतन जब सरजन , अब अनवरत अर अनवरत । जग-जन चमन सद, बढ़त बस बरकत । ईश ,असलम , धन-धन ,सत-मदद । इस , उस… Read More

happy new year

हैप्पी न्यू ईयर

कोई कहता हैप्पी न्यू *Year* । कोई कहे अपना नहीँ *Dear* । अपने मन में क्यों हो *Fear* । कैलेंडर बदले है *Gear* । नया साल है बिल्कुल *Near* । दस्तक door पर करता वो *Hear* । दुखियों के हम… Read More

saraswatima

वंदना : शुभ्रकमल सिंहासना

तू स्वर की देवी, माँ वीणापाणि, शुभ्रकमल सिंहासना । ममतामयी मूरत ,बुद्धि की सूरत , प्रेम पूरण प्रति प्रेरणा । ‘अजस्र ‘ तेरे चरणों में बैठा , कर जोड़े, करता माँ वंदना , ये वंदना ,ये वंदना । तू स्वर… Read More

girlalone

लेख : एक थी श्रद्धा

एक थी श्रद्धा माता-पिता दुलारी गई भटक रिश्ता भी धोखा दिल टूटा श्रद्धा का केवल पीड़ा ना वो आजादी मां-बाप बिन शादी गत श्रद्धा की ना प्रेम पला ना रहा लिव-इन जग-हसाई न रहा प्यार केवल व्यभिचार श्रद्धा व ताब… Read More