12/01/202312/01/2023 डी. कुमार अजस्र छोड़ो शर्म को ,मुखर बनो तुम , बोलो हृदय के सब उद्गार । आसमान भी लगे फिर छोटा , उन्मुक्त उड़ोगे जब पंख परवाज । पनडुब्बे से तुम बन जाओ । अथाह सागर में गोत लगाओ । मोती ज्ञान के अतुल खजाना , सृजन करो ‘अजस्र ‘ श्रृंगार । +90 About Author डी. कुमार अजस्र हिंदी प्राध्यापक राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय गुढ़ा नाथावतान, बूंदी (राजस्थान) See author's posts