manavta

सुख भोग से मदमस्त
सोता नहीं हूँ मैं,
सोता हूँ
कल – कल की धार हूँ
कूड़ा – कचरा नहीं
जिंदगी का कचर – पचर हूँ
वैज्ञानिक पथ में
कदम हूँ मैं
यात्री हूँ अंतरंग में
रग – रेशों में भरा
वेदना नाद हूँ
सेज का नहीं
खोज हूँ मैं
समता की परिकलपना में
ईट का पत्थर हूँ
नव समाज के निर्माण में
अपने आपको समर्पित हूँ
पीड़ा वेदना की
आवाज हूँ,
अन्याय, अधर्म, अत्याचार का
विरोधी स्वर हूँ मैं।

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