कविता : हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले

हे ! माँ मुझको गर्भ में ले ले, बाहर मुझको डर लागे। देह-लुटेरे, देह के दुश्मन, मुझको अब जन-जन लागे। अधपक कच्ची कलियों को भी, समूल ही डाल से तोड़ दिया। आत्मा तक को नोंच लिया फिर, जीवित माँस क्यों… Read More

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कविता: हूं खुशकिस्मत अध्यापक हूं

हूं खुशकिस्मत अध्यापक हूं , हैं कार्यक्षेत्र मेरा अध्यापन। ज्ञान की अलख जगाने को ही, है मेरा सब समराथन । अज्ञान लोक यह जीवन है, इसमें अंधियारा रचा बसा। है परमपिता का परमाशीष, जो उससे लड़ने मुझे चुना। आदर्श बनाकर… Read More

प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे हैं हम

कच्चे हैं हम, मगर सच्चे हैं हम, प्यारे-प्यारे छोटे बच्चे हैं हम…2 गुलशन में कितने ही रंग से खिले, माला में गुंथे बड़े अच्छे हैं हम। कच्चे हैं हम मगर सच्चे हैं हम। भारत की हम शान बनें, मान और… Read More

कविता : अरज करूँ मैं

हे मेरे ईश्वर, ओ माय गॉड,ए मेरे मालिक, या खुदा। हाथ उठाऊं, अरज करूँ मैं, ढूँढ़ू तुझको मैं कहाँ कहाँ। मन्दिर में ढूँढा तो मिली बस तेरी मूरत थी प्यारी। गिरजे का घण्टा बजा मैं थाका तेरी शान थी न्यारी।… Read More

बैल दिवाली

बैल-दीवाली, बिन बैल है खाली, आओ मनाएं हम सूनी दीवाली । कोना भी सूना है,आँगन भी रूना है, माँ और बेटे की हर बात है खाली । कृषक-भाई (बैल ) ठोकर ही खाए है, कृषक के लिये है कहाँ खुशहाली… Read More

रोशन दिवाली कब

दीपों की जगमग आज हुई रोशन, चहुँओर लगे देखो खुशहाली। मांवस रात लगे पूनम सी, काली है पर भरपूर उजियाली। पर जिससे हर घर में है रौनक, उसका घर आज लगता है खाली। सीमा पे बैठ वो लिए बन्दूक, भारत… Read More