हे मेरे ईश्वर, ओ माय गॉड,ए मेरे मालिक, या खुदा।
हाथ उठाऊं, अरज करूँ मैं, ढूँढ़ू तुझको मैं कहाँ कहाँ।
मन्दिर में ढूँढा तो मिली बस तेरी मूरत थी प्यारी।
गिरजे का घण्टा बजा मैं थाका तेरी शान थी न्यारी।
मज्जिद से ही नमाज भी अता की
झलक न थी वो प्यारी-प्यारी।
पत्थर को पूजा, ग्रन्थ में खोजा
मिला नहीँ तू महिमा थी सारी।
है मेरे ईश्वर, ओ माय गॉड,ए मेरे मालिक, या खुदा ।
हाथ उठाऊं, अरज करूँ मैं, ढूँढ़ू तुझको मैं कहाँ कहाँ।
तीरथ-तीरथ मैं खोजता फिरूँ तूझे
मिले न तू तो और करूँ क्या।
पाने को तुझको लिए कितने ही जन्म पर
 न पाऊँ तुझे तो पाऊँ और क्या।
सोच ही मेरी बस पहुँचे बस तुझ तक।
अरज मेरी भी पहुँचेगी तुझ तक क्या।
यज्ञ करूँ या चादर चढाऊँ मैं
ग्रन्थ पूजूँ या रहूँ प्रार्थना उचारी।
दीप जलाऊँ या धूप लगाऊं मैं अगर मोम से करूँ पूजा तुम्हारी।
है मेरे ईश्वर, ओ माय गॉड, ए मेरे मालिक ,या खुदा।
हाथ उठाऊं, अरज करूँ मैं, ढूँढ़ू तुझको मैं कहाँ कहाँ।
कोख से आया इस दुनियां में लेकिन 
तुझ तक जाने की सही राह न पाई।
चिता चढूं भले कब्र में जाऊँ पर मिले तू जो
तब ही मुक्ति ऋतू आई।
पाने को तुझको ही ये छाई उदासी तू जो मिले तो सब खुशियां झल्काई।
स्वर्ग मिले भल दोजख में तड़पूं
तू जो साथ हो आनन्द ही आई।
है मेरे ईश्वर, ओ माय गॉड,ए मेरे मालिक,या खुदा।
हाथ उठाऊं, अरज करूँ मैं, ढूँढ़ू तुझको मैं कहाँ कहाँ।

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