‘A for Apple, मैं पूरा खाऊं । ‘B for Ball’, से खेलने जाऊं । ‘C for Cat’, करती है म्याऊँ । ‘D for Dog’, करे भाऊ भाऊ । ‘E for Ear’, तुम कान लगाओ । ‘F for Flag’, नभ ऊँचा… Read More
कविता : गुरु गोविंद
गुरु पद, गोविंद से बड़ा, गोविंद गुरु अनेक। गर गुमान/गुरुर गुरु से अलग, गोविंद ऊपर पेठ। बने मनुष जो मनुष मन, अहं, काम क्या काम। मृत्युलोक तब स्वर्ग सम, *अजस्र* पुरुषार्थी राम। +460
लेख : हिन्दी राष्ट्रभाषा बने
हिन्दी सीखे और सिखाएं, हो हिन्दी प्रसार । राजभाषा से राष्ट्रभाषा तक, हो हिन्दी विस्तार । हिन्दी सज्जित हो विश्व गुलिस्ता, शीघ्र ही जगत- जुबान । आओ ! अजस्र हम सहर्ष करे, अपनी हिन्दी से प्यार । हिन्दी सी कोई… Read More
कविता : राखी चाँद तक पहुंच गई
पृथ्वी ने भेजी है राखी, चंदा तक पहुंचाने को। विक्रम-प्रज्ञान हैं बने संवदिया, भाई-राखी बंधवाने को । राखी में भरकर है भेजा, आठ-अरब का प्यारा- प्यार । इसरो ने उसको पहुँचाया , सोलह-बरस ,मेहनत का सार । भारत संग जहान… Read More
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ
शिक्षा -शिक्षक -शिक्षक दिवस का, है अजीब ये नाता । पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान हस्तांतरित, भारत भाग्य विधाता । ‘अजस्र’ जन्मदिवस, उस शिक्षक का इस दिन । देता जो शिक्षा, और शिक्षक कहलाता । +80
गीत : हिन्दी वर्णमाला विचार
अ से अनार , का फल है ताजा । आ से आम , फलों में राजा । इ से इमली , वो खट्टी-खट्टी । ई से ई ईख , वो उतनी ही मीठी । उ से उल्लू , रात को… Read More
कविता : नमन तुम्हें है इसरोजन
देश गर्व से देख रहा है, आज चमकते चांद की ओर । दुनिया में अपना नाम बना हैं , छूकर इसका तलीय छोर। भारत की इस जय में बोलें, जय जय तेरी हो विज्ञान । इसरो ने कुछ किया है… Read More
कविता : सावन-सुरंगा
सरस-सपन-सावन सरसाया। तन-मन उमंग और आनंद छाया। ‘अवनि’ ने ओढ़ी हरियाली, ‘नभ’ रिमझिम वर्षा ले आया। पुरवाई की शीतल ठंडक, सूर्यताप की तेजी, मंदक। पवन सरसती सुर में गाती, सुर-सावन-मल्हार सुनाती। बागों में बहारों का मेला, पतझड़ बाद मौसम अलबेला।… Read More
कविता : आधी आबादी करे पुकार
‘भरी सभा सी’ दुनिया देखे, ‘वस्त्रविहीन-अबलाओं’ को। जाति-समाज के नाम पे किसने, बांट दिया भावनाओं को? बहन-बेटी की लूटती इज्जत, सभ्य समाज पर कलंक सी। कुछ दानव से क्यों मनुज ऐंठते, बस, मानवता का अंत ही? सजा मौत भी, कमतर… Read More
कविता : मानव-धर्म आबाद रहे
अब तो कर दो प्रभुजी किरपा, मानव-धर्म को सजा सकूँ । धर्म कभी ना कट्टर होवे , मानव-मानव से बचा सकूँ । अब तो कर दो…… पीड़ित भी हूँ ,कुंठित भी हूँ, मन भी मेरा सुलग रहा । मानव-मानव को,… Read More