दिवस बदलते, माह बदलते,
बदले कैलेंडर, बदले कई वार ।
चलो मनाएं ,नई सुबह पर,
नए वर्ष का ,नया त्योहार ।
धरा वही ,आसमां वही है,
लगे नया ,भव-पारावार ।
वर्ष नया , कैलेंडर बदला,
सोच भी बदलें, अब की बार ।
शुभकामनाएं , न हो औपचारिक,
गम भी बांटे, सब मिलकर यार।
आज से फिर हो ,नई कहानी,
खुशियों की, हर घर बौछार ।
रात गुजरी, अब दिन निकलेगा ,
वर्ष नया ,सज-धज तैयार ।
छोड़े सब हम ,बुरी आदतें ,
जग से पहले, लें स्वयं सुधार ।
रुकें नहीं सब, कहीं ठहर के,
गुजरे पतझड़, सावन बहार ।
गरीब-अमीर मन ,द्वेष मिटे सब,
संकीर्ण-ईर्ष्या, न बने कारोबार।
बारह मास, सप्ताह बावन का,
लक्ष्य कोई न , छूटे इस बार ।
कई ख्वाब जो ,रहे अधूरे ,
करें चलो पूरे , अबकी बार ।
देश, समाज, दुनिया हो रोशन,
सूरज जब चमके , चमके संसार ।
नए वर्ष के ,नए सपने जो सज्जित,
पूरे हो सबके ‘अजस्र’ हजार ।